शोध छात्रों से गैर नेट फेलोशिप की वसूली की मांग भ्रामक, एमफिल पीएचडी को लेकर पढ़िए यूजीसी की पूरी गाइडलाइन

दिल्ली विश्वविद्यालय ने शोध छात्रों से गैर-नेट फैलोशिप की वसूली की मांग को भ्रामक बताया है। जेएनयू प्रशासन का कहना है कि यह रेखांकित किया गया है कि जेएनयू यूजीसी द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार एमफिल तथा पीएचडी कार्यक्रमों के छात्रों को गैर-नेट फेलोशिप वितरित करता है।

By Pradeep ChauhanEdited By: Publish:Mon, 01 Nov 2021 05:37 PM (IST) Updated:Mon, 01 Nov 2021 05:37 PM (IST)
शोध छात्रों से गैर नेट फेलोशिप की वसूली की मांग भ्रामक, एमफिल पीएचडी को लेकर पढ़िए यूजीसी की पूरी गाइडलाइन
एमफिल तथा पीएचडी कार्यक्रमों के छात्रों को गैर-नेट फेलोशिप वितरित करता है।

नई दिल्ली, एएनआइ। दिल्ली विश्वविद्यालय ने शोध छात्रों से गैर-नेट फैलोशिप की वसूली की मांग को भ्रामक बताया है। जेएनयू प्रशासन का कहना है कि यह रेखांकित किया गया है कि जेएनयू यूजीसी द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार एमफिल तथा पीएचडी कार्यक्रमों के छात्रों को गैर-नेट फेलोशिप वितरित करता है। इसमें किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है।

दरअसल, छात्रवृत्ति पर होने वाले खर्चों में कटौती करने के लिए केंद्र सरकार ने नॉन-नेट (राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा) फेलोशिप को खत्म करने करने के लिए कहा था। जबकि सरकार की ओर से नियुक्त एक पैनल ने शोध छात्रों को दी जाने वाली नान-नेट फेलोशिप को नेट पास छात्र-छात्रों को मिलने वाली फेलोशिप में बदलने की सिफारिश की थी। अभी तक केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पीएचडी और एमफिल छात्र जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ), नॉन-नेट फेलोशिप और कुछ अन्य छोटी छात्रवृत्ति के लिए पात्र होते है।

वहीं, शिक्षाविदों का कहना है कि अगर सिफारिश को स्वीकार कर लिया जाता है, तो इससे उन गरीब और ग्रामीण छात्रों को नुकसान होगा जो कोचिंग का खर्च नहीं उठा सकते हैं । गरीब शोध छात्रों पर इसका सीधा असर पड़ेगा। उनके बहुविकल्पीय परीक्षा को पास करने के अवसर कम हो जाते हैं।

उन्होंने बताया कि शोध छात्र केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश पाने के लिए सब्जेक्टिव प्रवेश परीक्षा देते हैं और नॉन-नेट फेलोशिप के लिए योग्यता हासिल करते हैं। प्रवेश परीक्षा कुछ विश्वविद्यालयों द्वारा व्यक्तिगत रूप से और बाकी द्वारा एक समूह के रूप में आयोजित की जाती है।

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