दिल्ली के अधिवक्ता ने राहत कोष में दे दी हक की लड़ाई के लिए हुए समझौते की रकम

फाइव स्टार होटल का पैकेज देकर थ्री-स्टार की सुविधा देने पर हक की लड़ाई लड़ने वाले अधिवक्ता ने मेक माइ ट्रिप के साथ समझौता तो किया लेकिन इससे मिलने वाली धनराशि विभिन्न अदालत के राहत कोष में दे दी।

By Jp YadavEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 11:25 AM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 11:25 AM (IST)
दिल्ली के अधिवक्ता ने राहत कोष में दे दी हक की लड़ाई के लिए हुए समझौते की रकम
दिल्ली के अधिवक्ता ने राहत कोष में दे दी हक की लड़ाई के लिए हुए समझौते की रकम

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। फाइव स्टार होटल का पैकेज देकर थ्री-स्टार की सुविधा देने पर हक की लड़ाई लड़ने वाले अधिवक्ता ने मेक माइ ट्रिप के साथ समझौता तो किया, लेकिन इससे मिलने वाली धनराशि विभिन्न अदालत के राहत कोष में दे दी। दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते के आधार पर न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने मेक माइ ट्रिप के सीईओ दीप कालरा के खिलाफ दर्ज एफआइआर को रद करने का आदेश दिया। साथ ही निर्देश दिया कि समझौते के तहत साढ़े सात लाख रुपये की धनराशि एक सप्ताह के अंदर विभिन्न बैंक खातों में जमा कर रसीद जांच अधिकारी व अदालत में जमा कराई जाए। पीठ ने शिकायतकर्ता व अधिवक्ता तरुण राणा की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मोहित माथुर द्वारा समझौते को लेकर दिए गए तथ्यों को रिकार्ड पर लिया।

उन्होंने याचिकाकर्ता दीप कालरा को निर्देश दिया कि कुल साढ़े सात लाख रुपये में से चार लाख रुपये पटियाला हाउस कोर्ट के नई दिल्ली बार एसोसिएशन सदस्य कल्याण कोष के खाते में जमा कराया कराएं। वहीं, ढाई लाख रुपये दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन महामारी कोष और एक लाख रुपये दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के मध्यम आय ग्रुप में जमा कराया जाए।

यह है मामला

अधिवक्ता तरुण राणा वर्ष 2012 में अपने परिवार के साथ दक्षिण भारत के अलग-अलग जगह घूमने गए थे। उन्होंने मेक-माइ-ट्रिप एप के माध्यम से फोर टू फाइव स्टार होटल में रुकने का पैकेज लिया था। जब वे वहां पहुंचे तो उन्हें कम सुविधा वाला होटल दिया गया। इससे नाराज होकर उन्होंने मेक माइ ट्रिप के सीईओ दीप कालरा व मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव के खिलाफ वर्ष 2014 में धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में तिलक मार्ग थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसे रद कराने को लेकर सीईओ ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसी बीच पुलिस ने मामले में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी। इसके खिलाफ राणा ने वर्ष 2019 में पटियाला हाउस कोर्ट में प्रोटेस्ट पिटीशन दायर की। वर्ष 2020 में अदालत ने पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया धोखाधड़ी का मामला बनता है।

इस पर अदालत ने सीईओ दीप कालरा व मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव के खिलाफ समन जारी किया था। एफआइआर रद करने की दीप कालरा की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के बीच समझौता हुआ। शिकायतकर्ता राणा ने कहा कि ये उनके हक की लड़ाई है और समझौते की पूरी रकम राहत कोष को देना चाहते हैं।

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