Delhi Riots: ताहिर हुसैन की जमानत याचिका खारिज, कोर्ट ने कहा बंटवारे के बाद सबसे वीभत्स दंगा हुआ

Delhi Volence Case दिल्ली दंगे के तीन मामलों में कड़कड़डूमा स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव की अदालत ने मुख्य आरोपित एवं आप के निलंबित पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। ताहिर अभी जेल में ही रहेगा।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Thu, 22 Oct 2020 03:47 PM (IST) Updated:Thu, 22 Oct 2020 07:25 PM (IST)
Delhi Riots: ताहिर हुसैन की जमानत याचिका खारिज, कोर्ट ने कहा बंटवारे के बाद सबसे वीभत्स दंगा हुआ
दिल्ली दंगे के मुख्य आरोपित पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन की फाइल फोटो

नई दिल्ली [आशीष गुप्ता]। दिल्ली दंगे के तीन मामलों में गुरुवार को अदालत ने मुख्य आरोपित एवं पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन की जमानत अर्जी खारिज कर दी। अदालत ने कहा है कि बंटवारे के बाद दिल्ली में यह वीभत्स सांप्रदायिक दंगा हुआ। यह विश्व शक्ति की ओर बढ़ रहे देश की अंतरात्मा पर एक खुला जख्म है। अदालत ने माना कि आरोपित पर लगे आरोप बेहद गंभीर हैं। प्रथमदृष्या बाहुबल और राजनीतिक रसूख का फायदा उठाते हुए सांप्रदायिक दंगे की योजना बनाने और भड़काने में उसकी संलिप्तता प्रतीत होती है। अदालत ने अंग्रेजी कहावत का जिक्र करते हुए कहा कि जब आप अंगारे के साथ खेलते हैं, तो चिंगारी से आग भड़कने के लिए हवा को दोष नहीं दे सकते।

दयालपुर थाना क्षेत्र में 24 व 25 फरवरी को चांद बाग पुलिया, मुख्य शेरपुर चौक और मूंगा नगर इलाके में दंगे के दौरान लूटपाट के बाद दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया था। ताहिर हुसैन के घर की छत से पेट्रोल बम फेंके गए थे। इन तीनों स्थानों पर हुए दंगे में तीन अलग-अलग मुकदमों में ताहिर हुसैन आरोपित है। उसने तीनों मामलों में जमानत के लिए अर्जी दायर की थी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने गुरुवार को इन अर्जियों पर वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई की।

आरोपित की तरफ से अधिवक्ता केके मेनन ने दलील पेश करते हुए कहा कि ताहिर हुसैन को गलत फंसाया गया है। राजनीतिक छवि धूमिल करने के लिए आरोप लगाए गए हैं। यह दलील भी दी कि दंगाइयों ने ताहिर के घर के बाहर खड़ी मोटरसाइकिल को आग लगा दी थी। जिसके बाद गेट तोड़ कर उसके घर के अंदर घुस कर छत पर चढ़ गए थे। दंगाइयों ने तोड़फोड़ कर ताहिर के घर को भी नुकसान पहुंचाया था। इस बारे में ताहिर ने दयालपुर थानाध्यक्ष और एसीपी को कॉल किया था। उन्होंने देरी से एफआइआर दर्ज करने, सीसीटीवी फुटेज न होने और एफआइआर में नाम होने की बात भी कही।

अभियोजन पक्ष के वकील ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए दलील पेश करते हुए कहा कि गवाहों ने आरोपित को दंगाइयों के साथ छत पर देखा था। पुलिस कांस्टेबल ने भी आरोपित की पहचान की है। उन्होंने कहा कि यह दंगा नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे लोगों की एक सोची समझी साजिश थी। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा से पहले इसकी योजना बनाई गई।

साजिशकर्ताओं को मालूम था कि पुलिस प्रशासन उस दौरान तैयारियों में जुटा हुआ था। उन्होंने दलील दी कि कॉल डिटेल रिकॉर्ड दंगे के दौरान ताहिर की उपस्थिति और सक्रियता बयां कर रही हैं। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने तीनों मामलों में ताहिर हुसैन की जमानत अर्जी खारिज कर दी। अदालत ने आदेश में कहा कि ताहिर ने भले की कोई प्रत्यक्ष कृत्य नहीं किया, लेकिन उसका घर दंगे का केंद्र बना।

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