DU में साथ-साथ चलेगी मॉर्निग व इवनिंग कॉलेजों की दाखिला प्रक्रिया

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) की स्टैं¨डग कमेटी की बैठक में हाल ही में फैसला हुआ है कि इस वर्ष अकादमिक सत्र 2019-20 के दाखिले के लिए डीयू के मॉर्निंग व इव¨नग कॉलेजों के दाखिले के आवे

By Edited By: Publish:Sat, 18 May 2019 09:52 PM (IST) Updated:Sun, 19 May 2019 12:05 PM (IST)
DU में साथ-साथ चलेगी मॉर्निग व इवनिंग कॉलेजों की दाखिला प्रक्रिया
DU में साथ-साथ चलेगी मॉर्निग व इवनिंग कॉलेजों की दाखिला प्रक्रिया

नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के अकादमिक सत्र 2019-20 के लिए मॉर्निग और इवनिंग कॉलेज में दाखिले के लिए आवेदन प्रक्रिया एक ही समय पर साथ-साथ चलेगी। यह फैसला डीयू की स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में लिया गया है। इससे छात्रों को काफी फायदा होगा। इसके अलावा ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया में सर्वर डाउन होने की समस्या से निपटने के लिए भी डीयू ने रणनीति बनाई है। इसके लिए डीयू प्रशासन इस बार कई सर्वर लगाने जा रहा है।

स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य प्रोफेसर रसाल सिंह ने बताया कि पहले मॉर्निंग कॉलेज के दाखिला के लिए आवेदन 9 से एक बजे के बीच होते थे। वहीं इवनिंग कॉलेजों के दाखिले के लिए आवेदन शाम को 4 से 7 बजे के बीच करना होता था। लेकिन, अब कमेटी ने दोनों कॉलेजों के दाखिले के लिए आवेदन की प्रक्रिया एक ही समय पर करने का निर्णय लिया है। यानी अब सुबह 9 से एक बजे के दौरान मॉर्निंग व इवनिंग कॉलेजों के दाखिले के लिए आवेदन किया जा सकेगा। हालांकि दोनों कॉलेजों के अधिकारियों की तरफ से आवेदन प्रक्रिया की जिम्मेदारी अलग-अलग संभालेंगे। इससे डीयू की पूरी दाखिला प्रक्रिया में 8 से 10 दिन का समय बचेगा।

पहले दोनों कॉलेजों के दाखिले की आवेदन प्रक्रिया के बाद कटऑफ की तारीखों को एक दिन बाद जारी किया जाता था। इसकी मुख्य वजह यह होती थी कि इवनिंग कॉलेज में शाम 4 से 7 बजे के बाद अगले दिन तक दस्तावेजों की जांच आदि की जाती थी। इससे दूसरे राज्यों से आने वाले छात्रों को भी दो दिन तक कटऑफ का इंतजार करना पड़ता था।

डीयू के फैसले से प्राचार्य सहमत नहीं 

डीयू के कुछ कॉलेजों के प्राचार्य स्टैंडिंग कमेटी के फैसले से सहमत नजर नहीं आ रहे हैं। इस संबंध में इन प्राचार्यो ने डीयू प्रशासन को पत्र भी लिखा है। उनका कहना है कि ज्यादातर मॉर्निंग और सांध्य कॉलेजों के इंफ्रास्ट्रक्चर इस तरह के नहीं हैं कि हजारों की संख्या में आने वाले छात्रों को संभाल सकें। कॉलेजों के पास सीमित संसाधन होते हैं, ऐसे में छात्रों व उनके अभिभावकों के लिए बैठने व पेयजल की व्यवस्था करना भी कॉलेजों के लिए चुनौती होगी।

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