Yoga: दिल्ली की छात्रा नीति ने योग में पेश की मिसाल, 13 की उम्र में जीते 22 पदक

नीति ने वर्ष 2015 से लगातार दिल्ली स्टेट योग टूर्नामेंट की विजेता रही हैं। उनके पिता अनिल व मां रजनी मित्तल का कहना है कि नीति ने अबतक 22 पदक जीते हैं जिनमें छह स्वर्ण नौ रजत और सात कांस्य है।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Sun, 28 Feb 2021 01:54 PM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 01:54 PM (IST)
Yoga: दिल्ली की छात्रा नीति ने योग में पेश की मिसाल, 13 की उम्र में जीते 22 पदक
नीति मित्तल अपने पदक और प्रमाणपत्र के साथ ’ सौजन्य: स्वयं

नई दिल्ली [शिप्रा सुमन]। योग से तो सभी वाकिफ हैं , लेकिन योग के अलग अलग आसनों को आसानी से कर पाना सबके बस की बात नहीं। आठवीं की छात्र नीति मित्तल ने योग में ऐसी उपलब्धि हासिल कर ली है जो उनकी आयु के सभी दूसरे बच्चों के लिए मिसाल है। पीतमपुरा एसडी पब्लिक स्कूल की छात्र नीति ने बैकवर्ड बेडिंग योग (पीछे मुंह कर किया जाने वाला योग) को मात्र दो मिनट में 31 बार कर इंडिया बुक आफ रिकार्ड में दर्ज करा लिया है। ऐसा करने वाली वह सबसे कम आयु की छात्रा हैं।

महज 13 वर्ष की आयु में राज्य से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में दर्जनों पदक जीतकर स्कूल और अपने माता-पिता का नाम रोशन करने वाली नीति ने योग के क्षेत्र में खास मुकाम हासिल किया है।

13 की उम्र में 22 पदक

आदर्श नगर की नीति ने तीसरी कक्षा से ही योग करना शुरू कर दिया था। स्कूल में अपने योग शिक्षक से प्रशिक्षण ले रहीं नीति ने लगन के साथ योग का अभ्यास किया। उनकी मेहनत व परिश्रम का ही परिणाम है कि आज योग के क्षेत्र में उन्होंने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परचम लहराया है। नीति ने वर्ष 2015 से लगातार दिल्ली स्टेट योग टूर्नामेंट की विजेता रही हैं। उनके पिता अनिल व मां रजनी मित्तल का कहना है कि नीति ने अबतक 22 पदक जीते हैं, जिनमें छह स्वर्ण, नौ रजत और सात कांस्य है। इसके अलावा पांच ट्राफियां और कुल 70 सर्टिफिकेट हासिल किए हैं।

एकाग्रता ने दिलाई सफलता

स्कूल की प्रधानाचार्य अनिता शर्मा ने भी नीति की प्रतिभा को सराहा है, वहीं योग शिक्षक हेमंत का कहना है कि नीति ने योग की बारीकियों को ध्यान पूर्वक सीखा और समझा है। वर्ष 2020 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित हुई आर्टिस्टिक योग प्रतियोगिता में नीति ने दूसरा स्थान प्राप्त किया था। नीति के अनुसार योग दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है। योग को शिक्षा से जोड़ा जाना चाहिए ताकि बचपन से ही योग जीवन का हिस्सा बन सके।

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