दिल्ली ने अनाज सड़ा दिया मगर बांटा नहीं, अब सब अन्न पर ही मौन हो गए, पढ़िए स्कूलों में अनाज सड़ने की दास्तान

स्कूलों को राशन वितरण का केंद्र बनाया गया। लेकिन देखिए अनाज सड़ा दिया बांटा नहीं। मान भी लें कि महामारी का प्रकोप ज्यादा था इसलिए लोग अपने गांवों को चले गए रुके नहीं लेकिन बाद में सामान्य हालात हुए तब उसका वितरण जरूरतमंदों को किया जा सकता था।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 01:19 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 01:19 PM (IST)
दिल्ली ने अनाज सड़ा दिया मगर बांटा नहीं, अब सब अन्न पर ही मौन हो गए, पढ़िए स्कूलों में अनाज सड़ने की दास्तान
कामगारों व गांवों को लौटते लोगों को यहीं रोकने के लिए राशन वितरण किया जाना था।

नई दिल्ली, जागरण टीम। आप बताइए अन्न पर ही मौन हो गए। वो भी उन जरूरतमंदों के अनाज पर जिन्हें एक समय भी खाना मयस्सर हो जाए तो बड़ी बात है। पिछले वर्ष महामारी के प्रकोप को देखते हुए कामगारों व गांवों को लौटते लोगों को यहीं रोकने के लिए राशन वितरण किया जाना था। स्कूलों को राशन वितरण का केंद्र बनाया गया। लेकिन देखिए अनाज सड़ा दिया, बांटा नहीं। मान भी लें कि महामारी का प्रकोप ज्यादा था इसलिए लोग अपने गांवों को चले गए रुके नहीं, लेकिन बाद में सामान्य हालात हुए तब उसका वितरण जरूरतमंदों को किया जा सकता था।

लगातार दक्षिणी से पश्चिमी दिल्ली तक कई स्कूलों से मामला उजागर हो चुका है और हो रहा है। हजारों लोगों के अन्न का हक छीनना किसे फलेगा? और तो और मौन के साथ ही सड़े अनाज को ठिकाने लगाने के लिए गोदाम में छिपा दिया। दक्षिणी दिल्ली के स्थानीय सांसद ने जांच की मांग की। रोहिणी के विधायक ने भी इसकी जांच को लेकर उपराज्यपाल को पत्र लिखा, जिस पर उपराज्यपाल ने मुख्य सचिव को जांच के निर्देश दिए। लेकिन आप फिर भी मौन रहे?

अब प्रश्न उठता है कि सरकार द्वारा जो योजनाएं बनाई जाती हैं, उनका क्रियान्वयन ठीक ढंग से क्यों नहीं होता? हम वोट के लिए घर-घर पहुंच जाते हैं लेकिन जरूरतमंद का हक उसे नहीं पहुंचा सकते। इस प्रकरण से कहीं न कहीं भ्रष्टाचार की भी बू आने लगी है। आखिर राशन वितरण नहीं करने के पीछे क्या मंशा रही? ऐसी योजनाओं का कैसे होना चाहिए क्रियान्वयन? इसी की पड़ताल करना हमारा आज का मुद्दा है :

80 लाख लोगों को बांटने के लिए आया था राशन

25 स्कूलों में 10 हजार टन से अधिक राशन खराब होने का है अनुमान

किसे दिया जाना था बगैर राशन कार्ड वाले गरीबों को, रेहड़ी-पटरी दुकानदारों, प्रवासी कामगारों, फुटपाथ पर रहने वाले लोगों को आधार कार्ड पर राशन बांटा जाना था। चार किलो गेहूं व एक किलो चावल दिया जाना था, प्रति आधार कार्ड। 2000 कूपन हर विधायक को जारी किए गए थे। विधायकों को यह कूपन जरूरतमंदों को देना था जिससे वे राशन वितरण केंद्र से राशन प्राप्त कर सकें। साथ में थी राशन किट : प्रत्येक किट में खाद्य तेल, मसाले, दाल, चावल, आटा, नहाने व कपड़ा धोने का साबुन, चना आदि रखा गया था। 500 अतिरिक्त कूपन इस राशन किट के लिए प्रत्येक विधायक को 500 अतिरिक्त कूपन जारी किए गए थे। 28 मई को सबसे पहले दैनिक जागरण ने वसंत कुंज के मसूदपुर स्थित निगम स्कूल में अनाज बर्बादी के मामले का पर्दाफाश करते हुए समाचार प्रकाशित किया। जागरण की टीम ने कई अन्य स्कूलों का भी दौरा किया जहां बड़ी मात्र में गेहूं, चावल के अलावा बर्बाद हो चुकी हजारों राशन किट मिली। दैनिक जागरण में समाचार प्रकाशित होने के बाद भाजपा नेताओं ने भी स्कूलों का दौरा शुरू किया तो अनाज की बर्बादी देखकर वह भी दंग रहे गए। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी के नेतृत्व में भाजपा के सभी विधायकों ने प्रदर्शन कर इसे अनाज घोटाला बताया और इसकी सीबीआइ जांच की मांग की।

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