Delhi Riots 2020: जीवन भर का दाग दे गया दंगा, आज भी उबर नहीं पाए लोग, कम नहीं हुआ गम

दंगों की याद हमेशा कड़वी होती है। अपनों को खोने या बेघर होने का दर्द केवल पीड़ित ही महसूस कर सकते हैं। उत्तर पूर्वी दिल्ली इलाके के कई परिवार तो ऐसे हैं जो एक साल बाद भी दंगे की भयावहता को याद कर सिहर जाते हैं।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Wed, 24 Feb 2021 12:38 PM (IST) Updated:Wed, 24 Feb 2021 02:56 PM (IST)
Delhi Riots 2020: जीवन भर का दाग दे गया दंगा, आज भी उबर नहीं पाए लोग, कम नहीं हुआ गम
दंगे में जान गंवाने वाले राहुल सोलंकी का परिवार। जागरण

पुष्पेंद्र कुमार, पूर्वी दिल्ली। दंगों की याद हमेशा कड़वी होती है। अपनों को खोने या बेघर होने का दर्द केवल पीड़ित ही महसूस कर सकते हैं। उत्तर पूर्वी दिल्ली इलाके के कई परिवार तो ऐसे हैं जो एक साल बाद भी दंगे की भयावहता को याद कर सिहर जाते हैं। पीड़ितों को दंगा जीवन भार का दाग दे गया है। सीएए और एनआरसी के समर्थन और विरोध को लेकर उत्तर-पूर्वी दिल्ली के इलाकों में बीते साल हुए दंगे के बाद दैनिक जागरण ने पीड़ितों का दर्द जानने की कोशिश की। 

हिंसा में मारे गए मृतक राहुल सोलंकी का परिवार एक साल बाद भी गमजदा है। बेटे को खोने के गम में राहुल की मां राम सकी लकवे की शिकार हो गईं। सरकार से जो मदद मिली उससे राहुल की बड़ी बहन की शादी कर दी गई। पिता हरी सिंह सोलंकी की तबीयत ठीक नहीं रहती। परिवार का पालन पोषण चाचा राम बाबू ही कर रहे हैं। हरी सिंह सोलंकी का कहना है कि राहुल को मारने वाले कुछ लोग आज भी पकड़ से दूर हैं।  

दंगे ने छीन ली रोशनी 

दंगे ने शिव विहार निवासी वकील की आंखों की रोशनी छीन ली। 24 फरवरी 2020 को उनके घर के बाहर दंगाइयों ने खूब उपद्रव मचाया और घर के दरवाजे को तोड़ने की कोशिश की। जब वह खिड़की से बाहर देख रहे थे, उस दौरान एक तेजाब की बोतल खिड़की से आकर टकरा गई। बोतल से निकली तेजाब की छीटें उनकी दोनों आंखों में चली गई। उनके पीछे उनकी बेटी भी खड़ी थी, कुछ बूंदें उसपर भी गिर गई थीं। 

परिवार चाहता है अपराधियों को मिले फांसी की सजा 

कर्मदमपुरी निवासी फुरकान के बड़े भाई इमरान ने बताया कि फुरकान की मौत को आज एक वर्ष हो गया है। छोटे भाई की हर समय याद आती है। 24 फरवरी की शाम को घर के बाहर गली में अन्य दिनों की तरह खड़ा था। गली में दोनों तरफ से दंगाइयों के बीच फंस गया। जहां एक-एक कर दंगाइयों ने छोटे से जिस्म पर कई वार किए। परिवार बस इतना चाहता है कि अपराधियों को फांसी की सजा मिले, तभी हमें शांति मिलेगी। 

बिना अंकित के अधूरा है परिवार 

दंगे में शहीद हुए आइबी कर्मचारी अंकित शर्मा के परिवार के सदस्य खजूरी कालोनी को छोड़कर गाजियाबाद में किराये के मकान में रह रहे हैं। अंकित के भाई अंकुर शर्मा ने बताया कि हादसे के बाद पिता र¨वद्र कुमार को दिल का दौरा पड़ गया था, डाक्टरों ने आराम के लिए बोल दिया।

जब भी पिता घर में अकेले रहते थे तो हमेशा भाई को याद कर परेशान हो जाते थे। इसलिए अपना घर छोड़कर किराये के मकान में रह रहे हैं, ताकि नई जगह पर कुछ यादें कम कर सकें। लेकिन भाई के बिना परिवार अधूरा है। दिल्ली सरकार व केंद्र सरकार से मदद मिली है। पर परिवार चाहता है कि भाई को मारने वाले अपराधियों को फांसी की सजा हो। 

दंगाइयों ने उम्र भी नहीं देखी 

दंगे के दौरान दंगाइयों के सामने जो आया उसे या तो मार दिया गया या फिर घायल कर दिया गया। शिव विहार निवासी 16 वर्ष का राहुल भी दंगाइयों का शिकार हो गया है। राहुल के पिता ने बताया कि दंगे में दंगाइयों ने बेटे पर तेजाब फेंककर कई बार हमला किया। वह जैसे तैसे घर लौटा था। राहुल का पूरा चेहरा जल गया। राहुल उस हादसे को भूल नहीं पाया है जब भी आईने में वह खुद को देखता है, तो परेशान हो जाता है। उपद्रवियों ने उसे जीवन भार का दाग दे दिया। 

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