Delhi riots: दिल्ली पुलिस पर लगाए गए 25 हजार रुपये जुर्माना पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक

Delhi riots न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि पुलिस का पक्ष सुने बगैर निचली अदालत द्वारा की गई टिप्पणी को नहीं हटाया जा सकता है। पीठ ने शिकायतकर्ता मोहम्मद नासिर को नोटिस जारी कर दस दिन के अंदर जवाब मांगा है।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 06:50 PM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 06:50 PM (IST)
Delhi riots: दिल्ली पुलिस पर लगाए गए 25 हजार रुपये जुर्माना पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक
पुलिस की चुनौती याचिका पर शिकायतकर्ता से मांगा जवाब

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। दिल्ली दंगा से जुड़े एक मामले में निचली अदालत द्वारा दिल्ली पुलिस पर तल्ख टिप्पणी करते हुए 25 हजार रुपये जुर्माना लगाने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने रोक लगाई दी है। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि पुलिस का पक्ष सुने बगैर निचली अदालत द्वारा की गई टिप्पणी को नहीं हटाया जा सकता है। पीठ ने शिकायतकर्ता मोहम्मद नासिर को नोटिस जारी कर दस दिन के अंदर जवाब मांगा है। पीठ ने कहा कि जुर्माना राशि अगली सुनवाई तक जमा नहीं कराई जा सकती है।

दिल्ली दंगा में एक गोली लगने के कारण शिकायतकर्ता मोहम्मद नासिर की एक आंख की रोशनी चली गई। मजिस्ट्रेट अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली दिल्ली पुलिस की याचिका पर कड़कड़डूमा कोर्ट ने 14 जुलाई को कहा था कि जांच बहुत ही लापरवाही ढंग से की गई है और पुलिस डायरी लिखने में नियमों का पालन नहीं किया गया है।

इस मामले में एक अलग से रिपोर्ट दर्ज की जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। साथ ही मामले में पुलिस आयुक्त को उपयुक्त कार्रवाई करने को कहा था। निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए दिल्ली पुलिस ने उक्त टिप्पणी को हटाने व 25 हजार रुपये के जुर्माने पर रोक लगाने की मांग की थी।

शिकायतकर्ता नासिर ने पुलिस से को शिकायत की थी कि दंगाइयों द्वारा चलाई गई गोली से वह घायल हो गया था। शिकायत पर कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं किया तो नासिर ने अदालत में वाद दाखिल किया था। मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने अक्टूबर में पुलिस से उसकी शिकायत पर एक अलग से प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था। इस आदेश सत्र अदालत के समक्ष चुनौती दी थी।

पुलिस ने कहा था कि इस घटना को लेकर पहले ही प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है और इसमें शिकायतकर्ता के नाम का भी जिक्र किया गया है। उसने यह भी कहा था कि शिकायतकर्ता ने जो सात व्यक्तियों के नाम बताए हैं उसके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला है।

chat bot
आपका साथी