Delhi Riots: 22 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया उमर खालिद

उत्तरी पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा मामले में आतंकवाद विरोधी कानून गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किए गए जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को कोर्ट ने 22 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Thu, 24 Sep 2020 01:49 PM (IST) Updated:Thu, 24 Sep 2020 01:49 PM (IST)
Delhi Riots: 22 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया उमर खालिद
दिल्ली दंगा का आरोपी उमर खालिद की फाइल फोटो

नई दिल्ली, प्रेट्र। उत्तरी पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा मामले में आतंकवाद विरोधी कानून, गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किए गए जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को कोर्ट ने 22 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। कोर्ट में पुलिस ने दावा किया है कि सांप्रदायिक हिंसा एक "पूर्व-निर्धारित साजिश" थी जो कथित तौर पर खालिद और दो अन्य लोगों द्वारा रची गई थी। उन पर देशद्रोह, हत्या, हत्या के प्रयास, धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने से संबंधित कई संगीन मामले दर्ज किए गए हैं।

पुलिस ने कोर्ट ने बताया कि खालिद ने कथित रूप से दो अलग-अलग स्थानों पर भड़काऊ भाषण दिए थे और नागरिकों से अपील की थी कि वे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की यात्रा के दौरान सड़कों पर उतरें और सड़कों को अवरुद्ध करें और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचार प्रसार करें कि कैसे भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार किया जा रहा है।

बता दें कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगे की साजिश बहुत बड़े स्तर पर और सुनियोजित तरीके से रची गई थी। दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप (डीपीएसजी) नाम से बनाए गए वाट्सएप ग्रुप में आरोपितों के बीच हुई बातचीत से साजिश की पूरी पोल खुल गई है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पिछले हफ्ते दंगे की साजिश रचने के मामले में दायर आरोप पत्र में वाट्सएप चैट को अहम सुबूत के तौर पर शामिल किया है।

डीपीएसजी में शामिल समुदाय विशेष के लोगों को पहले तो लगा कि ग्रुप में शामिल नेता (दंगे के मास्टरमाइंड) उनके हक के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। लेकिन, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दिल्ली आने से पहले जब ग्रुप में भड़काऊ बातें की जाने लगीं तब ग्रुप से जुड़े समुदाय विशेष के कुछ लोगों को नेताओं की मंशा पर शक होने लगा। भड़काऊ बातों को लेकर ग्रुप में इनके बीच झगड़ा भी हो गया था। हालांकि तब दंगे की योजना बना रहे नेताओं ने इस मामले को संभाल लिया था, ताकि उनके बीच फूट न हो जाए। इसके बाद ग्रुप में इस तरह सीमित बातें की जाने लगीं।

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