Delhi Riots 2020: एक साल बाद भी बाकी हैं दंगे के निशान, खिंची हुई हैं मजहबी लकीरें

शिव विहार के दुकानदार रवि शंकर ने बताया कि दंगे में दंगाइयों ने उनकी कपड़ों की दुकान पूरी तरह जलाकर राख कर दी थी। मुआवजे के लिए आवेदन किया था प्रशासन ने मात्र छह हजार रुपये ही दिए हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Tue, 23 Feb 2021 11:41 AM (IST) Updated:Tue, 23 Feb 2021 11:59 AM (IST)
Delhi Riots 2020: एक साल बाद भी बाकी हैं दंगे के निशान, खिंची हुई हैं मजहबी लकीरें
पिछले साल दिल्ली दंगे के दौरान जाफराबाद रोड पर पुलिस पर पथराव करते दंगाई। फाइल फोटो

शुजाउद्दीन, पूर्वी दिल्ली। ठीक एक साल पहले 23 फरवरी को यमुनापार की सड़कों पर चीख पुकार मची थी। किसी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, तो किसी को घर के अंदर ही जिंदा जला दिया गया था। कुछ शवों की हालत ऐसी कर दी गई थी कि उनकी पहचान डीएनए से करनी पड़ी थी। दुकान व मकानों को लूटा गया और उनमें आग लगा दी गई। एक साल बाद भी दंगे के निशान बाकी हैं। शिव विहार का तिराहा हो या फिर शेरपुर व भजनपुरा चौक पर दंगे में जले मकान व दुकान। उनकी दीवारें अभी भी काली पड़ी हैं।

उन खाली मकानों को देखकर उस खौफनाक मंजर की यादें ताजा हो जाती हैं, जब दंगाइयों ने उपद्रव मचाया था। अब भी तेज आहट होती है तो लोगों को यही लगता है दंगाई आ गए। कई लोग दंगे में अपनी दुकान व मकानों को छोड़कर गए थे, उसके बाद वापस ही नहीं लौटे हैं। शिव विहार तिराहे व फेज-7 में सबसे ज्यादा दंगाइयों ने नुकसान पहुंचाया था। शाम होने पर यहां सन्नाटा छाना शुरू हो जाता है। दंगे की भरपाई यहां के लोग अब तक कर रहे हैं, कोई अपने मकान को बनवा रहा है, तो कोई खोए हुए रोजगार को फिर से पाने की जद्दोजहद में लगा हुआ है।

घटनाक्रम एक नजर में

1. जनवरी 2020 में उत्तर पूर्वी जिले में आठ अलग अलग स्थानों पर सीएए के विरोध में प्रदर्शन शुरू हुए।

2. 22 फरवरी की रात को ¨पजरा तोड़ संगठन ने महिलाओं के साथ मिलकर जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे रोड जाम कर धरना शुरू किया।

3. 23 फरवरी को मौजपुर चौक पर सीएए के समर्थन में दोपहर में प्रदर्शन शुरू हुआ।

4. 23 फरवरी की शाम को सीएए के पक्ष और विपक्ष के लोग आमने सामने आ गए और पत्थरबाजी शुरू हुई।

5. 23 फरवरी को रात में शेरपुर चौक पर एक चिकन की दुकान पर मारपीट के बाद ¨हसा भड़की और कई वाहनों को आग लगा दी।

6. 24 फरवरी को उत्तर-पूर्वी जिले कई कई इलाकों में दंगे भड़के।

7. 24 फरवरी को चांद बाग में हेड कांस्टेबल रतन लाल की हत्या कर दी गई और डीसीपी अमित शर्मा गंभीर रूप से चोटिल हुए।

8. एक मार्च को जाकर हालात सामान्य हुए।

खींची हुई हैं मजहबी लकीरें

दंगे के बाद लोगों ने सुरक्षा की दृष्टि से अपने मोहल्लों की गलियों के बाहर लोहे के गेट लगवा दिए। सीएए के विरोध से शुरू हुआ दंगा कुछ दिन में सांप्रदायिक बन गया था। लोगों ने उन गेटों पर धार्मिक रंग चढ़ाकर समाज में मजहबी लकीरें खींची हुई हैं, लोग गेट का रंग देखकर अंदाजा लगा लेते हैं उस क्षेत्र में इस धर्म के लोग ज्यादा रहते होंगे। कई बार लोग अकेले जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते।

ताहिर की इमारत हो रही है खंडहर

आप के पार्षद रहे व दंगे के मुख्य आरोपित ताहिर हुसैन की चांद बाग पुलिया के पास बनी इमारत खंडहर हो रही है। यह वही इमारत है, जहां से दंगाइयों ने गोलियां बरसाई थी और तेजाब फेंका था। दंगे के बाद पुलिस ने इसे सील कर दिया था, फिलहाल इस इमारत में कोई नहीं रहता। बता दें, दंगे में नाम आने के बाद ताहिर हुसैन को आप ने निलंबित कर दिया था।

बिल्डरों ने उठाया खौफ का फायदा

दंगे की वजह से स्थानीय लोगों में एक अजीब सा खौफ बैठ गया, उस खौफ का फायदा बिल्डरों ने उठाया। जानमाल की सुरक्षा को लेकर बहुत से लोगों ने कम कीमत पर अपनी दुकान और मकान को बिल्डरों को बेच दिया और इलाके से चले गए।

पीड़ित दुकानदार को मिलने थे छह लाख, पर मिले छह हजार

शिव विहार के दुकानदार रवि शंकर ने बताया कि की दुकानें जलाई गई थी, उन्हें छह लाख रुपये का मुआवजा दिया जाना था। उन्होंने प्रशासन से काफी गुहार लगाई, लेकिन पूरा मुआवजा नहीं मिला। उन्होंने अपने दम पर फिर से छोटे स्तर पर दुकान शुरू की है।

इन स्थानों पर हो रहे थे प्रदर्शन

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में सीमापुरी, कर्दमपुरी, चांद बाग, श्रीराम कालोनी, सीलमपुर, ब्रजपुरी, नूर ए इलाही, शास्त्री पार्क व खुरेजी में प्रदर्शन हुए थे।

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