पढ़िए दो सगे भाईयों ने फर्जी काल सेंटर के जरिए सस्ते मोबाइल फोन का लालच देकर लोगों को कैसे ठगा, पार्सल में क्या-क्या भेजते थे

रोहिणी जिला साइबर सेल ने सस्ते वीवो व रेडमी मोबाइल फोन बेचने का झांसा देकर लोगों से ठगी में शामिल फर्जी काल सेंटर का पर्दाफाश किया है और 46 युवतियां समेत कुल 53 आरोपितों को गिरफ्तार किया है।

By Pradeep ChauhanEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 09:57 PM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 10:05 PM (IST)
पढ़िए दो सगे भाईयों ने फर्जी काल सेंटर के जरिए सस्ते मोबाइल फोन का लालच देकर लोगों को कैसे ठगा, पार्सल में क्या-क्या भेजते थे
काल सेंटर के संचालक दो भाई रोहित व राहुल भी शामिल हैं।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। रोहिणी जिला साइबर सेल ने सस्ते वीवो व रेडमी मोबाइल फोन बेचने का झांसा देकर लोगों से ठगी में शामिल फर्जी काल सेंटर का पर्दाफाश किया है और 46 युवतियां समेत कुल 53 आरोपितों को गिरफ्तार किया है। इनमें काल सेंटर के संचालक दो भाई रोहित व राहुल भी शामिल हैं। आरोपित गत साल अगस्त से ठगी के धंधे में लिप्त थे।

रोहिणी जिले के डीसीपी प्रणव तयाल ने बताया कि फर्जी काल सेंटरों के विरुद्ध एसीपी ब्रह़़मजीत सिंह की देखरेख में साइबर सेल के प्रभारी इंस्पेक्टर कुलदीप सिंह के नेतृत्व में एसआइ आनंद सिंह, प्रवीण नरवाल, विजेंद्र आदि की टीम बनाई गई है। पुलिस टीम को सूचना मिली कि पूठकलां गांव में फर्जी काल सेंटर के जरिये ठगी की जा रही है। ऐसे में टीम ने सोमवार की रात छापेमारी कर 26 युवतियों 26 युवतियां और दो युवक को पकड़ा। पूछताछ में सामने आया कि अमन विहार के मांगे राम पार्क में भी इनका दूसरा काल सेंटर चल रहा है। वहां छापेमारी कर 20 युवतियों समेत 27 लोगों को गिरफ्तार किया। इनमें गिरोह के सरगना राहुल और रोहित भी शामिल थे।

आरोपित वीवो व रेडमी मोबाइल फोन को कंबो आफर के रूप में सस्ते दरों पर बेचने का लोगों को झांसा देते थे और उन्हें पार्सल में साबून, पर्स, बेल्ट आदि भेज दिया करते थे। लोगों को कैश आन डिलवरी मोबाइल भेजने का झांसा देकर विश्वास मे लेते थे।

पुलिस अधिकारी ने बताया कि राहुल-रोहित के पिता पोस्टमास्टर थे। राहुल भी पोस्टल असिस्टेंट की नौकरी कर रहा था। उन्हें पोस्ट आफिस की वीपीपी सुविधा के बारे में जानकारी थी। इसके तहत ग्राहक पोस्टमैन को रुपये देकर सामान लेता था। उन्होंने फर्जी कंपनी पोस्ट आफिस मे पंजीकृत कराई। ऐसे में पोस्टमैन रुपये लेकर पोस्ट आफिस में जमा करा देता था। जहां से चेक के जरिए ठगों की कंपनी के बैंक खाते में रुपये जमा हो जाते थे।

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