सार्वजनिक परिवहन के मामले में सबसे खराब टॉप 5 शहरों में दिल्ली का नाम, केंद्र की रिपोर्ट में कई बड़े खुलासे
केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के ईज आफ लिविंग इंडेक्स 2020 के अनुसार दिल्ली सार्वजनिक परिवहन के मामले में सबसे खराब पांच शहरों में दूसरे नंबर पर है। प्रति लाख जनसंख्या के आधार पर भी दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन की उपलब्धता काफी कम है।
नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के ईज आफ लिविंग इंडेक्स 2020 के अनुसार दिल्ली सार्वजनिक परिवहन के मामले में सबसे खराब पांच शहरों में दूसरे नंबर पर है। प्रति लाख जनसंख्या के आधार पर भी दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन की उपलब्धता काफी कम है। यह हालात अभी खराब होते दिख रहे हैं, क्योंकि सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था की रीढ़ दिल्ली परिवहन निगम में पिछले नौ साल से एक भी बस नहीं आ सकी है, परिवहन विशेषज्ञों की मानें तो डीटीसी में हाल फिलहाल में बड़ी संख्या में बसें आ सकेंगी इस तरह के भी हालात नजर नहीं आ रहे हैं।
जो बसों मौजूद भी हैं उनकी भी हालत खराब है। बसों की कमी को देखते हुए सरकार ने पुरानी बसों को भी तीन साल और चलाने की अनुमति दी है। स्थिति पर नजर डालें तो दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन के दो प्रमुख माध्यम हैं। इसमें बस परिवहन और मेट्रो रेल शामिल हैं।
आर्थिक सर्वेक्षण की 2020-21 की जारी रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019-20 के दौरान डीटीसी की बसों में औसत यात्री संख्या 33.31 लाख और क्लस्टर बसों में 17.71 लाख प्रतिदिन रही है। वहीं दिल्ली मेट्रो रेल का औसत दैनिक उपयोग वर्ष 2019-20 में 50.64 लाख यात्री रहा है।
डीटीसी की बात करें तो यह निगम शहर के 448 रूटों पर 3762 बसों का परिचालन करता है। इसके अलावा क्लस्टर योजना के तहत 2938 बसें चलाई जा रही हैं। नि:शुल्क होने के कारण बसों में महिला यात्रियों की भागीदारी लगातार बढ़ रही है। मगर मुख्य समस्या बसों की कमी है। परिवहन विशेषज्ञों की मानें तो बेहतर सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था किसी भी शहर के लिए सबसे बड़ी जरूरत होती है। मगर दिल्ली शहर की परिवहन व्यवस्था जिस दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) पर निर्भर है, इसकी हालत खराब होकर रह गई है। एक तो इस निगम की बसें कम होती जा रही हैं, घाटा बढ़ता जा रहा है। नई बसें आ नहीं पा रही हैं। निगम आर्थिक तंगी से जूझ रहा है।
दिल्ली सरकार ने लोगों की परेशानी को देखते हुए डीटीसी बसों को तीन साल का विस्तार दिया है।परिवहन क्षेत्र के विशेषज्ञ इसे सही प्रक्रिया नहीं मानते हैं।उनकी मानें तो पुरानी बसें चलाने से दिल्ली में प्रदूषण की समस्या बढ़ेगी।क्योंकि समस्या यह है कि इन बसों की जो सीएनजी किट है उसकी उम्र 12 साल है। इन्हें 15 साल तक तो चलाया जा सकता है। मगर बसें प्रदूषण का स्तर बढ़ाएंगी।
दिल्ली की परिवहन व्यवस्था कैसी होनी चाहिए इसे लेकर दिल्ली सरकार ने 2017 में विशेषज्ञों की एक समिति बनाई थी। उस समिति ने सरकार को सुझाव दिया था कि दिल्ली में 11 हजार बसें होनी चाहिए। यह भी सुझाव था कि बसों का बेड़ा मजबूत करने के लिए तुरंत प्रयास होने चाहिए। बसें कई आकार में होनी चाहिए। लंबी बसें हों तो छोटी बसें भी होनी चाहिए। क्योंकि दिल्ली में कई ऐसे इलाके हैं जहां बसों की जरूरत है मगर बड़ी बसें नहीं जा सकती हैं। मगर उन इलाके के लोगों को बसों की जरूरत है। ऐसे में उनके लिए छोटी बसें होनी चाहिए।
यह बात सही है कि दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था की स्थिति अच्छी नहीं है।बसों की काफी कमी है, मगर यह नहीं कहा जा सकता है कि इसके लिए प्रयास नही हुए हैं।दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन के बेहतर न होने के कई कारण हैं। केंद्र शासित राज्य होने के कारण फैसले लेने में भी देरी होती है। प्रक्रिया बहुत लंबी हो जाती है।हालांकि माना जा रहा है कि आने वाले समय में सार्वजनिक परिवहन की स्थिति अच्छी होगी।दिल्ली में 6700 बसें हैं।सीएनजी की 1000 लो फ्लोर बसें आ रही थीं। मगर कुछ समस्या आई है। -प्रो सेवाराम, विभागाध्यक्ष, ट्रांसपोर्ट प्लानिंग विंगस्कूल आफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर (एसपीए)
दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था की स्थिति
डीटीसी व क्लस्टर सेवा की मिलाकर बसें- 6700
टैक्सी- 38000
आटो- 95000
आरटीवी- 5000
ग्रामीण सेवा- 5000
ई-रिक्शा -दो लाख