Delhi: पहले जिस तालाब में रहती थी, लोगों ने अपनी मेहनत से बनाया आकर्षण का केंद्र

नांगलोई के कमरुद्दीन नगर के जिस तालाब में फैली हुई गंदगी के कारण लोग परेशानी झेल रहे थे आज वही तालाब आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। स्थानीय निवासियों ने आपसी सहयोग से इसे स्वच्छ और आकर्षक बना दिया। इसके बाद बदहाल तालाब का कायाकल्प हो गया।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Thu, 01 Apr 2021 02:38 PM (IST) Updated:Thu, 01 Apr 2021 03:29 PM (IST)
Delhi: पहले जिस तालाब में रहती थी, लोगों ने अपनी मेहनत से बनाया आकर्षण का केंद्र
नांगलोई के कमरुद्दीन नगर में तालाब को क्षेत्र के लोगों ने आपसी सहयोग से पुनर्जीवित किया ’ सौजन्य: सुधि पाठक।

जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली। नांगलोई के कमरुद्दीन नगर के जिस तालाब में फैली हुई गंदगी के कारण लोग परेशानी ङोल रहे थे, आज वही तालाब आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। स्थानीय निवासियों ने आपसी सहयोग से इसे स्वच्छ और आकर्षक बना दिया।

आज यहां गंदगी का नामोनिशान नहीं है। दरअसल, दूषित तालाब की वजह से परेशान क्षेत्रवासियों ने जब इसे स्वच्छ बनाने का बीड़ा उठाया तब जलबोर्ड के अधिकारियों की भी इसपर नजर पड़ी और विभाग की ओर से भरपूर सहयोग मिलने लगा। इसके बाद बदहाल तालाब का कायाकल्प हो गया।

विभाग से मिला सहयोग

गौरतलब है कि दिल्ली जलबोर्ड ने तालाबों की साफ-सफाई की जिम्मेदारी ली है। इसके तहत उत्तर पश्चिमी दिल्ली के 155 तालाबों को विकसित किया जाएगा। इसी के मद्देनजर नांगलोई और उसके आसपास के क्षेत्रों में मौजूद बदहाल और विलुप्त होते हुए तालाबों को नया जीवन देने की योजना है।

स्थानीय निवासियों के अनुसार लोगों की कोशिश को बढ़ावा देते हुए विभाग की ओर से भी कार्रवाई की गई और इससे उन्हें मदद मिली। तालाब के पानी के ऊपर जमी हुई काई और घास को साफ करने में विभाग के अधिकारियों ने सुविधाएं उपलब्ध कराईं। तालाब की स्वच्छ को बनाए रखने की जिम्मेदारी अब दिल्ली जलबोर्ड की है। अधिकारियों के अनुसार तालाबों के दूषित पानी को स्वच्छ बनाने और उसे विकसित करना उनकी प्राथमिकता है।

लोगों ने दिया योगदान

क्षेत्र के निवासी अरुण कुमार ने बताया कि यह तालाब इतना अधिक दूषित था कि जानवर भी इसके पास भटकना पसंद नहीं करते थे। इसमें मौजूद जंगली घास और काई की परत के कारण इससे बहुत दुर्गंध आती थी। इस वजह से स्थानीय लोगों का अपने घरों में रहना मुश्किल हो गया था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। लोगों ने अपने व्यस्त दिनचर्या से वक्त निकालकर इस कार्य में सहयोग दिया। हर किसी ने आर्थिक और शारीरिक रूप से इस कार्य में योगदान दिया।

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