Delhi Politics: अपने हाथों की चोट दिखाते हुए अलका लांबा बोली हमारे खून में है गांधी वाली कांग्रेस
प्रदर्शन के दौरान दाहिने हाथ की अंगुली में लगी चोट के बाद उन्होंने गुस्से में हाथ जिस तरह हिलाया खून के छींटे कई लोगों पर पड़े हैं। कई मीडिया कर्मी और पुलिस वाले भी खून के छींटे पोछते दिखे। विपक्षी दल इसे उनकी राजनीति मान रहे हैं।
वी के शुक्ला, नई दिल्ली। खून की राजनीति ! बुलंदी का नशा सिम्तों के जादू तोड़ देती है। हवा उड़ते हुए पक्षी के बाजू तोड़ देती है। सियासी भेडि़यों थोड़ी बहुत गैरत जरूरी है, तवायफ तक किसी मौके पर घुंघरू तोड़ देती है। यह वह ट्वीट है जिसे कांग्रेस नेता अल्का लांबा ने री-ट्वीट किया है। हाथ में चोट लग जाने के बाद की फोटो के साथ उन्होंने इसे री-ट्वीट किया।
कांग्रेस के प्रदर्शन के दौरान शुक्रवार को दाहिने हाथ की अंगुली में लगी चोट के बाद उन्होंने गुस्से में वह हाथ जिस तरह हिलाया, खून के छींटे कई लोगों पर पड़े हैं। कई मीडिया कर्मी और पुलिस वाले भी अपने चेहरे पड़े खून के छींटे पोछते दिखे। विपक्षी दल इसे उनकी राजनीत मान रहे हैं। उनका कहना है कि चोट ज्यादा नहीं थी लांबा ने सभी का ध्यान आकृष्ट कराने के लिए उन्होंने हाथ हिलाया। बहरहाल जो भी हो इस बात को पुलिस कर्मी भी ठीक नहीं मान रहे हैं कि मना करने के बाद भी वह लगातार आगे बढ़ती रहीं।
नेता जी की दरियादिली
नेता जी यानी मुख्यमंत्री ती दरियादिली में किसी से कम नहीं हैं। दिल्ली के लोगों का खूब ध्यान रखते हैं। अब विपक्षी दल भले ही इसे राजनीति कहते रहते रहें या राजनीति करते रहें। मगर इसकी परवाह किए बगैर वह यह सोचते हैं कि दिल्ली के लोगों के लिए ठीक क्या है। दिल्ली के लोगों का किस में भला है। इस बार उन्होंने फिर इस बात को सिद्ध कर दिया है।
यहां बात कोरोना को लेकर मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध कराने की करें तो इस बात पर आम जनता को बहुत संशय था कि वैक्सीन मुफ्त में मिलेगी या इसके लिए उन्हें पैसे खर्च करने पड़ेंगे। मुख्यमंत्री स्वयं इसके लिए केंद्र सरकार से मांग कर रहे हैं कि आम जनता को मुफ्त में वैक्सीन दी जाए। बुधवार को उन्होंने यह साफ भी कर दिया कि केंद्र सरकार मुफ्त में वैक्सीन नहीं देगी तो उनकी सरकार अपने खर्च पर वैक्सीन लगाएगी। इससे पहले भी एडीएम साहेब कई मौकों पर दरियादिली दिखा चुके हैं।
अभियान चला कुरेद रहे लोगों के घाव
नगर निगम चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी ने भाजपा को घेरने के लिए नए तरह का अभियान चलाया हुआ है। आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता गली-गली जाकर लोगों से पूछ रहे हैं कि नगर निगम उत्तरी के 25 करोड़ कहां गए हैं? किसकी जेब में गए हैं? मोहल्ला सभा के नाम से हर निगम वार्ड पर होने वाले कार्यक्रम में भी यह मुद्दा ही प्रमुखता से उठाया जा रहा है।
मगर इन कार्यक्रमों में जनता से भी नगर निगमों को लेकर उनका अनुभव मांगा जा रहा है। जिसमें लोग तरह तरह के अनुभव लेकर सामने आ रहे हैं। कोई बताता है कि उनके मकान का छज्जा गिर गया था उसके ठीक कर रहे थे कि निगम का बेलदार आया और 5 हजार ले गया। कोई बताता है कि दादी का निधन हो जाने पर नगर निगम में मृत्यु प्रमाण पत्र लेने गए थे कि उनसे एक हजार रुपये ले लिए।
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