महिला की गुहार पर पुलिस बनी मददगार, रक्तदान कर बचाई बुजुर्ग की जान
महिला की व्यथा सुनकर एसचएचओ रितेश कुमार ने एडिशनल एसएचओ जेपी नागर महिला कांस्टेबल अंजू और कांस्टेबल संदीप को अस्पताल भेजा। महिला की समस्या सुनकर थाने में तैनात प्रत्येक पुलिसकर्मी रक्तदान के लिए तैयार था। तीनों लोगों ने बुजुर्ग को रक्तदान दिया।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कोरोनाकाल में जनसहयोग के किए गए कामों ने दिल्ली पुलिस पर लोगों का भरोसा बढ़ा दिया है। लोग अब अपनी समस्याओं को लेकर पुलिस के पास पहुंचते हैं। पुलिस भी उन्हें पारिवारिक सदस्य की तरह हल करने का प्रयास करती है। ताजा मामला ग्रेटर कैलाश थाने का है। थाने में मदद की गुहार लगाने पहुंची एक महिला के पिता को पुलिस टीम ने देवदूत बनकर रक्तदान किया और उनकी जान बचाई। घटना के बाद से स्थानीय लोग और महिला पुलिसकर्मियों की सराहना कर रहे हैं।
पुलिस उपायुक्त ने बताया कि महिला की गुहार पर इतने अधिक लोग रक्त देने के लिए उनकी टीम से तैयार थे कि यह चुनना मुश्किल था कि कौन-कौन रक्त देगा। दक्षिणी जिले के पुलिस उपायुक्त अतुल कुमार ठाकुर ने बताया कि मंगलवार को दोपहर में सारिका नाम की एक महिला ग्रेटर कैलाश थाने पहुंची।
महिला ने बताया कि उनके पिता अनिल जुत्सी (72 वर्ष) कई हफ्तों से नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट में भर्ती हैं और उनका बुधवार को हृदय का आपरेशन होना है लेकिन संपत्ति विवाद को लेकर उनका भाई पिता की मदद नहीं कर रहा है और दूसरे लोगों को भी मदद करने से मना कर रहा है।
महिला की व्यथा सुनकर एसचएचओ रितेश कुमार ने एडिशनल एसएचओ जेपी नागर, महिला कांस्टेबल अंजू और कांस्टेबल संदीप को अस्पताल भेजा। महिला की समस्या सुनकर थाने में तैनात प्रत्येक पुलिसकर्मी रक्तदान के लिए तैयार था। तीनों लोगों ने बुजुर्ग को रक्तदान दिया। बुधवार को उनका आपरेशन किया जा सका। सफल आपरेशन के बाद वे स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। पुलिस की मदद पर महिला बार-बार आभार जता रही है। जेपी नागर कोरोना संक्रमित हो गए थे। कोरोना से ठीक होने के बाद उन्होंने दो बार प्लाज्मा भी डोनेट किया था। इसके लिए उन्हें विभाग की ओर से 10 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि भी दी गई थी।