दिल्ली पुलिस के ASI ने पांच हजार रुपये रिश्वत ली, हाईकोर्ट में 20 साल मुकदमा लड़ने पर भी नहीं मिली राहत
दिल्ली पुलिस के एएसआइ ने एक मुकदमे से नाम हटाने में पांच हजार रुपये रिश्वत ली और हाई कोर्ट में 20 साल तक मुकदमा लड़ा। कोर्ट ने तीन साल जेल और नौ हजार रुपये जुर्माने की सजा को बरकरार रखते हुए समर्पण करने का आदेश दिया।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। करीब 25 साल पहले दिल्ली पुलिस के एएसआइ को रिश्वत लेना महंगा पड़ गया। एएसआइ ने एक मुकदमे से नाम हटाने में पांच हजार रुपये रिश्वत ली और हाई कोर्ट में 20 साल तक मुकदमा लड़ा। इसके बाद भी कोई राहत नहीं मिल सकी है। हाई कोर्ट ने राम नरेश तिवारी की चुनौती याचिका खारिज करते हुए तीन साल जेल और नौ हजार रुपये जुर्माने की सजा को बरकरार रखते हुए समर्पण करने का आदेश दिया। 20 साल से जमानत पर बाहर दोषी को न्यायमूर्ति अनु मल्होत्र की पीठ ने जेल भेजने का आदेश देते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष अपराध को साबित करने में सफल रहा है। दोषी रामनरेश ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए रिश्वत ली थी। पीठ ने कहा कि निचली अदालत के फैसले में कोई खामी नहीं है। यह मुकदमा पांच साल निचली अदालत और 20 साल हाई कोर्ट में चला।
2001 में हुई थी सजा: निचली अदालत ने 26 अप्रैल 2001 को विभिन्न धाराओं के तहत रामनरेश को दोषी ठहराते हुए तीन साल कैद और नौ हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई थी। रामनरेश ने निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने उसे 23 मई 2001 को जमानत पर रिहा किया था।
पांच हजार रुपये ली थी रिश्वत
अभियोजन पक्ष के अनुसार पुलिस चौकी शांति नगर में बाल किशन ने 4 जून 1996 में शिकायत दर्ज करवाई कि उनकी बेटी का अपहरण सुनील अग्रवाल व उसके दोस्त ने कर लिया है। बाद में पता कि लड़की ने सुनील के दोस्त के बेटे से प्रेम विवाह कर लिया। दोनों पक्षों के बीच समझौता होने के बावजूद रामनरेश ने सुनील को प्रताड़ित करते हुए मामले से नाम हटाने के बदले दस हजार रुपये रिश्वत की मांग की थी। शिकायत सीबीआइ तक पहुंची तो रामनरेश को पांच हजार रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया था।