NGO के नाम पर चल रहा था मानव तस्करी का खेल, पांच वर्ष से फरार महिला गिरफ्तार

आरोपी झारखंड के पिछड़े इलाके से ढूंढ़कर लाते थे। लड़कियों को प्रलोभन दिया जाता था कि दिल्ली में काम करने से उनकी अच्छी आय होगी, जिससे उनकी जीवनशैली में सुधार आएगा।

By Edited By: Publish:Mon, 24 Sep 2018 07:22 PM (IST) Updated:Mon, 24 Sep 2018 09:36 PM (IST)
NGO के नाम पर चल रहा था मानव तस्करी का खेल, पांच वर्ष से फरार महिला गिरफ्तार
NGO के नाम पर चल रहा था मानव तस्करी का खेल, पांच वर्ष से फरार महिला गिरफ्तार

नई दिल्ली (जेएनएन)। पश्चिमी जिला पुलिस ने मानव तस्करी के मामले में लंबे समय से फरार चल रही गिरोह की सरगना को गिरफ्तार किया है। आरोपी महिला का नाम प्रभा मुनि (42) है। पुलिस का दावा है कि उसकी गिरफ्तारी से मानव तस्करी से जुड़े पांच साल पुराने मामले को सुलझाया गया है। यह मामला झारखंड के सिमडेगा में दर्ज है। प्रभा मुनि खुद को स्वघोषित स्वयंसेवी संगठन की संचालिका बताती थी। वह दावा करती थी कि यह संस्था गरीब लड़कियों के कल्याण के लिए कार्य करती है और उन्हें दिल्ली में रोजगार उपलब्ध कराती है।

पुलिस को मिली पुख्ता जानकारी 
पश्चिमी जिला पुलिस उपायुक्त मोनिका भारद्वाज ने बताया कि पश्चिमी जिला वाहन चोरी निरोधक दस्ता (एएटीएस) को जानकारी मिली कि प्रभा मुनि व उसके पति रोहित मुनि पंजाबी बाग इलाके में छिपकर रहते हैं। एएटीएस को यह भी पता चला कि इनके खिलाफ सिमडेगा थाने के मानव तस्करी विरोधी शाखा में मामला दर्ज है और पुलिस को पांच वर्ष से इनकी तलाश है। दोनों पर वहां 25-25 हजार रुपये का इनाम घोषित है। सारी जानकारियों को पुख्ता करने के बाद एएसआइ ओम प्रकाश व हेड कांस्टेबल राशिद खान को इनके बारे में पता करने को कहा गया।

दो दशक पहले आई थी दिल्ली 
यह भी पता चला कि अभी दोनों आरोपी वेस्ट पंजाबी बाग इलाके में रहने वाली गरीब लड़कियों को नौकरी दिलाने का झांसा देते हैं। ये लड़कियां रोजगार की तलाश में दिल्ली आती हैं। 23 सितंबर को एएटीएस के इंस्पेक्टर मनोज कुमार के नेतृत्व में पुलिस टीम ने वेस्ट पंजाबी बाग में इनके ठिकाने के पास जाल बिछाया और प्रभा मुनि को पकड़ लिया। पूछताछ में उसने फरार होने की बात स्वीकार कर ली। उसने बताया कि वह मूलरूप से छत्तीसगढ़ की रहने वाली है तथा दो दशक पहले दिल्ली आई थी। यहां उसकी मुलाकात रोहित से हुई।

घरेलू सहायिका से जुड़ा काम शुरू किया
रोहित बिहार का रहने वाला है और शकरपुर में प्लेसमेंट एजेंसी चलाता था। दोनों ने शादी कर ली। इसके बाद उन्होंने दिल्ली में घरेलू सहायिका से जुड़ा काम शुरू किया। लड़कियों को ये झारखंड के पिछड़े इलाके से ढूंढ़कर लाते थे। लड़कियों को प्रलोभन दिया जाता था कि दिल्ली में काम करने से उनकी अच्छी आय होगी, जिससे उनकी जीवनशैली में सुधार आएगा।

लड़कियों को दी जाती थी धमकी 
लड़कियां इनके झांसे में आ जाती थीं, लेकिन यहां आकर उनकी आमदनी को यह हड़प लेती थी। जो लड़कियां इनके चंगुल से बाहर निकलने का हिम्मत दिखाती थीं उन्हें धमकाया जाता था। इस दौरान उसने अच्छा खासा पैसा जमा कर लिया। वह इस काले कारोबार को पंजाबी बाग में करने लगी।

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