नताशा नरवाल, देवांगना कलीता और आसिफ इकबाल तन्हा की बेल को दिल्ली पुलिस ने SC में दी चुनौती

Delhi Riots 2020 दिल्ली दंगा मामले में आरोपित आसिफ इकबाल तन्हा देवांगना कलिता और नताशा नरवाल को जमानत देने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है।

By Jp YadavEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 01:09 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 01:09 PM (IST)
नताशा नरवाल, देवांगना कलीता और आसिफ इकबाल तन्हा की बेल को दिल्ली पुलिस ने SC में दी चुनौती
नताशा नरवाल, देवांगना कलीता और आसिफ इकबाल तन्हा के बेल को दिल्ली पुलिस ने SC में दी चुनौती

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। फरवरी, 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगा मामले में आरोपित आसिफ इकबाल तन्हा, देवांगना कलिता और नताशा नरवाल को जमानत देने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है। गौरतलब है कि मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट से देवांगना कलिता, नताशा नरवाल और आसिफ इकबाल तन्हा को नियमित जमानत मिली है। दिल्ली दंगा मामले में तीनों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियों की रोकथाम संबंधी कानून (UAPA) के मुकदमे दर्ज हैं। दिल्‍ली पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक, 2020 में हुए दंगों के पीछे इनकी व अन्‍य आरोपियों की साजिश थी। वहीं, हाई कोर्ट ने तीनों को अलग-अलग आदेश में जमानत दी है। कोर्ट ने जमानत देने के दौरान कहा कि ‘विरोध करने का अधिकार’ संवैधानिक है और इस अधिकार को ‘गैरकानूनी’ और UAPA के तहत ‘आतंकी गतिविधि’ नहीं कहा जा सकता। 

नहीं मिले साजिश रचने के तथ्य

पीठ ने सुनवाई के दौरान मंगलवार को कहा कि तीनों के ऊपर ऐसा कोई विशेष आरोप नहीं है कि उन्होंने हिंसा को उकसाया हो। पीठ ने कहा कि आरोप पत्र में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिससे यूएपीए की धारा-15 के तहत आतंकवाद संबंधित विशिष्ट आरोप लगाए जा सके। आरोप पत्र में यूएपीए की धारा 17 के तहत आतंकवादी कार्य करने के लिए धन जुटाने के संबंध में भी कुछ नहीं कहा गया है। इसके अलावा धारा-18 के तहत साजिश रचने के संबंध में भी कोई तथ्य नहीं है।

प्रदर्शन और आतंकी गतिविधियों के बीच धुंधली सी रेखा होती है

अदालत ने फैसले में कहा कि प्रदर्शन और आतंकी गतिविधियों के बीच की रेखा धुंधली हो रही है। मामले में अहम टिप्पणी करते हुए पीठ ने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार विरोध प्रदर्शन को दबाने की चिंता में संवैधानिक अधिकारों के तहत दिए गए प्रदर्शन के अधिकार और आतंकवादी गतिविधियों में फर्क नहीं कर पा रही है। अगर ऐसी मानसिकता का दबदबा आने वाले दिनों में होगा तो यह लोकतंत्र के लिए एक दु:खद दिन होगा। पीठ ने कहा कि राष्ट्र की नींव बहुत मजबूत है और कुछ छात्रों के प्रदर्शन से यह नहीं हिलेगी।

ऐसे मामलों में जमानत से नहीं रोक सकता कोर्ट

नताशा नरवाल व देवांगना के मामले में हाई कोर्ट ने कहा कि उनके भागने का खतरा नहीं है और न ही उनके सुबूतों से छेड़छाड़ करने या गवाहों को प्रभावित करने की संभावना है। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता नताशा पर लगाए गए आरोप सुबूत व तथ्यों के आधार पर सही साबित नहीं होते हैं। केवल भ्रमित करने वाले मुद्दों से राज्य जमानत देने से रोक नहीं सकता है। पीठ ने कहा कि कलिता ने कुछ महिला अधिकार संगठनों और अन्य समूहों के सदस्य के रूप में भाग लिया और सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित करने में मदद की। शांतिपूर्वक तरीके से विरोध करना मौलिक अधिकार है। इसे यूएपीए के तहत आतंकवादी गतिविधि तब तक नहीं कहा जा सकता है, जब तक कि आरोपों से अपराधों की सामग्री स्पष्ट हो जाए। पीठ ने कहा कि जब सरकारी या संसदीय कार्यो का व्यापक विरोध होता है तो भड़काऊ भाषण व चक्का जाम का आयोजन असामान्य नहीं है।

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