इंदिरा पार्क में दूषित जलापूर्ति से लोग परेशान, शिकायत के बाद नहीं हो रही सुनवाई

पालम कालोनी स्थित इंदिरा पार्क में गीता भवन के पास गली नंबर-33 और 34 में बीते कई दिनों से दूषित जलापूर्ति के कारण लोग परेशान हैं। लोगों ने कई बार स्थानीय विधायक और जल बोर्ड के अधिकारियों के समक्ष अपनी परेशानियों को रखा

By Pradeep ChauhanEdited By: Publish:Sun, 17 Oct 2021 03:30 PM (IST) Updated:Sun, 17 Oct 2021 03:30 PM (IST)
इंदिरा पार्क में दूषित जलापूर्ति से लोग परेशान, शिकायत के बाद नहीं हो रही सुनवाई
इंदिरा पार्क में गीता भवन के पास गली नंबर-33 और 34 में बीते कई दिनों से दूषित जलापूर्ति। प्रतीकात्मक तस्वीर।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। पालम कालोनी स्थित इंदिरा पार्क में गीता भवन के पास गली नंबर-33 और 34 में बीते कई दिनों से दूषित जलापूर्ति के कारण लोग परेशान हैं। लोगों ने कई बार स्थानीय विधायक और जल बोर्ड के अधिकारियों के समक्ष अपनी परेशानियों को रखा, इसके बावजूद समस्या की अभी तक कोई सुध नहीं ली गई है। मजबूरन लोगों ने पत्र लिखकर अब मुख्यमंत्री के समक्ष अपनी समस्या को रखा है। लोगों के मुताबिक गर्मी में पानी की मांग ज्यादा होती है, उस अनुरूप क्षेत्र को जलापूर्ति मुहैया नहीं कराई जा रही है। अब उस पर से दूषित जलापूर्ति ने समस्या को और अधिक बढ़ा दिया है।

स्थानीय निवासी सरिता रावत ने बताया कि सुबह पांच बजे के करीब पानी आता है। कई बार शुरुआत में और कई बार बीच-बीच में एकाएक गंदा पानी आने लगता है। ऐसे में जब तक टंकी भर नहीं जाती है, पानी की आपूर्ति पर पैनी नजर रखनी पड़ती है। इसमें काफी समय बर्बाद होता है और कई बार जाने-आने ध्यान हटने पर गंदा पानी टंकी तक पहुंच जाता है। कई बार पानी इतना गंदा आता है कि टंकी में पहले से मौजूद साफ पानी भी गंदा हो जाता है और मजबूरन पानी को फेंककर टंकी की सफाई करनी पड़ती है।

इसमें पानी और समय दोनों की बर्बादी होती है। कामकाजी महिलाओं के लिए दूषित जलापूर्ति की समस्या बड़ा सिर दर्द बन गई है। उनका कहना है कि कार्यालय व घर के तनाव के बीच दूषित जलापूर्ति ने तनाव को बढ़ा दिया है। सुबह का समय वैसे ही भागदौड़ से भरा होता है, उन सब के बीच पानी पर नजर बनाएं रखना काफी मुश्किल कार्य है। कई बार पानी इतना गंदा होता है कि उससे नहाने का भी मन नहीं करता।

क्या कहते हैं विधायक व स्थानीय निवासी

यह तकनीकी दिक्कत है। कमांड टैंक से साफ पानी छोड़ा जाता है, पर घरों तक पहुंचने से पहले रास्ते में दूषित हो जाता है। इसका मतलब यह है कि पाइप लीक है कहीं न कहीं नालियों की सफाई में कमी है। इसके अलावा लोग अपने स्तर पर भी पानी का कनेक्शन लेते है, इस दौरान तकनीकी सतर्कता का अभाव भी दूषित जलापूर्ति का कारण हो सकता है। समस्या का जायजा लेकर उसका निदान सुनिश्चित किया जाएगा। भावना गौड़, विधायक, पालम विधानसभा क्षेत्र क्षेत्र के 50 परिवार इस दूषित जलापूर्ति की समस्या से जूझ रहे हैं। आर्थिक रूप से सक्षम लोग नियमित रूप से पानी खरीदकर पी रहे है और कुछ लोगों के घरों में वाटर प्यूरीफायर लगा हुआ है। हालांकि घरेलू कामकाज में दूषित जलापूर्ति से ही काम चलाना पड़ता है, क्योंकि उसके अलावा पानी की आपूर्ति का क्षेत्र में दूसरा कोई विकल्प नहीं है। दीवान सिंह रावत कई बार समस्या को लेकर विभिन्न अधिकारियों के समक्ष रखा है, पर कोई समाधान नहीं है। मजबूरन जैसे-तैसे काम चला रहे है, क्योंकि यहां अपना मकान है उसे छोड़कर कहीं और नहीं जा सकते है। पानी हर व्यक्ति की मूल जरूरत है, उससे जुड़ी समस्या का जल्द से जल्द समाधान सुनिश्चित होना चाहिए। कई बार पानी में से इतनी बदबू आती है कि उसका घरेलू कामकाज में इस्तेमाल करना संभव नहीं है। धीरज नेगी
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