दिल्ली के आर्थोपेडिक सर्जन ने लद्दाख में 11 हजार फीट की ऊंचाई पर रचा कीर्तिमान, जानिए AIIMS के इस पूर्व प्रोफेसर का कारनामा

एम्स के पूर्व प्रोफेसर व प्राइमस अस्पताल के आर्थोपेडिक्स विभाग के सर्जन डा. सीएस यादव ने पिछले सप्ताह ही उन मरीजों की निशुल्क सर्जरी की। उन मरीजों को घर के नजदीक ही इलाज की सुविधा मिल सकी। इससे मरीजों का समय बचा और आवागमन में भी खर्च नहीं करना पड़ा।

By Pradeep ChauhanEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 06:37 PM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 07:09 PM (IST)
दिल्ली के आर्थोपेडिक सर्जन ने लद्दाख में 11 हजार फीट की ऊंचाई पर रचा कीर्तिमान, जानिए AIIMS के इस पूर्व प्रोफेसर का कारनामा
दिल्ली के डाक्टर ने लद्दाख के लेह में जाकर 42 मरीजों के ज्वाइंट बदले।

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। दिल्ली के डाक्टर ने लद्दाख के लेह में जाकर 42 मरीजों के ज्वाइंट बदले। इसके तहत घुटने की गंभीर बीमारी से पीड़ित 36 मरीजों को कृत्रिम घुटने लगाए गए। वहीं छह मरीजों को कृत्रिम कूल्हे लगाए गए। एम्स के पूर्व प्रोफेसर व प्राइमस अस्पताल के आर्थोपेडिक्स विभाग के सर्जन डा. सीएस यादव ने पिछले सप्ताह ही उन मरीजों की निशुल्क सर्जरी की। जिससे उन मरीजों को घर के नजदीक ही इलाज की सुविधा मिल सकी। इससे मरीजों का समय बचा और आवागमन में भी खर्च नहीं करना पड़ा।

डा. सीएस यादव के नाम लेह में 11 हजार फीट की ऊंचाई पर घुटना प्रत्यारोपण करने का कीर्तिमान भी है। बाकायदा लिम्का बुक आफ रिकार्ड में यह कीर्तिमान दर्ज है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण पहाड़ी इलाकों में सर्जरी आसान नहीं होती। इस वजह से लद्दाख से काफी संख्या में मरीज सर्जरी के लिए दिल्ली पहुंचते हैं। लेकिन दिल्ली आकर सर्जरी कराना उन मरीजों को बहुत महंगा पड़ता है। क्योंकि दिल्ली आने-जाने में भी काफी रकम खर्च हो जाती है।

इसलिए अशोका मिशन संगठन के सहयोग से पहली बार वर्ष 2013 में एम्स के आर्थोपेडिक्स विभाग में रहते हुए उन्होंने लेह जाकर नौ मरीजों के घुटने बदले थे। एम्स छोड़कर निजी अस्पताल में जाने के बाद भी पहाड़ी इलाकों में जाकर निशुल्क ज्वाइंट बदले की सर्जरी जारी रखा। वह अब तक लेह में 218 मरीजों के ज्वाइंट बदल चुके हैं। जिसमें 201 मरीजों के घुटने व 17 मरीजों के कूल्हे बदले गए हैं।

उन्होंने कहा कि इस बार सबसे अधिक 42 मरीजों की सर्जरी की गई। लेह जिला अस्पताल के आपरेशन थियेटर में उन्होंने यह सर्जरी की लेकिन वहां पयार्प्त सुविधाएं नहीं होने के कारण वह अपनी टीम के साथ करीब 60 तरह के सर्जिकल उपकरण साथ लेकर गए थे, जिसका वजन करीब 500 किलोग्राम था। सर्जरी कराने वाले मरीजों में 80 फीसद बुद्धिस्ट हैं। उनके बैठने की शैली भी ऐसी होती है जिसके कारण उन्हें घुटने की परेशानी अधिक होती है। कुछ समय पहले वह हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर में जाकर भी 63 मरीजों के ज्वाइंट बदल चुके हैं।

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