दिल्ली में प्रदूषण के कारण बढ़ रही सांस के मरीजों की संख्या : डा. ग्लैडबिन

Delhi Pollution Impact वायु प्रदूषण के कारण मरीज न केवल सांस दमा व एलर्जी संबंधी तत्कालीन दुष्प्रभाव झेल रहे हैं बल्कि इससे कैंसर मानसिक रोग बांझपन कार्यक्षमता में कमी व असामयिक मृत्यु के रूप में दूरगामी प्रभाव भी सामने आने लगे हैं।

By Pradeep ChauhanEdited By: Publish:Tue, 09 Nov 2021 05:04 PM (IST) Updated:Tue, 09 Nov 2021 05:16 PM (IST)
दिल्ली में प्रदूषण के कारण बढ़ रही सांस के मरीजों की संख्या : डा. ग्लैडबिन
स्वामी दयानंद अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी व चेस्ट रोग विशेषज्ञ डा. ग्लैडबिन त्यागी।

नई दिल्ली [रितु राणा]। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के कारण अस्पतालों में सांस के मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। वायु प्रदूषण के कारण मरीज न केवल सांस, दमा व एलर्जी संबंधी तत्कालीन दुष्प्रभाव झेल रहे हैं, बल्कि इससे कैंसर, मानसिक रोग, बांझपन, कार्यक्षमता में कमी व असामयिक मृत्यु के रूप में दूरगामी प्रभाव भी सामने आने लगे हैं। यह बातें स्वामी दयानंद अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी व चेस्ट रोग विशेषज्ञ डा. ग्लैडबिन त्यागी ने दैनिक जागरण से बातचीत में कही।

ग्लैडबिन त्यागी ने बताया कि एक ओर अस्पतालों में डेंगू के मरीज भरे हुए हैं। दूसरा अब सांस के मरीज भी पहुंचने लगे हैं। पहले केवल एक विशेष मौसम में सांस, अस्थमा, दमा, आंखों व चमड़ी में एलर्जी के मरीज आते थे। लेकिन, अब प्रदूषण के कारण पूरे वर्ष ऐसे मरीज परेशान रहते हैं। प्रदूषक तत्वों के कारण सांस के मरीजों के लिए अस्थमा अटैक काफी घातक सिद्ध होता है।

ग्लैडबिन त्यागी ने कहा कि सांस की बीमारी से पीड़ित लोगों को प्रदूषण से सावधानी बरतना बेहद आवश्यक है। ऐसे मरीजों को सुबह व शाम की सैर बंद कर, घर में ही हल्का व्यायाम व प्राणायाम करना चाहिए। लोग बिना मास्क बाहर न जाएं और समय से दवा लें।

प्रदूषण के कारण दिल्ली में व्यस्कों की औसत आयु करीब आठ वर्ष घट गई है। बच्चों में भी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। प्रदूषण मानव सभ्यता के विकास का एक बेहद ही गंभीर दुष्परिणाम है, इसलिए हर व्यक्ति को अपने स्तर पर प्रदूषण से बचाव व इसकी रोकथाम के उपाय ढूंढने होंगे|

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