Delhi News: LLM का परिणाम तय करेगा याची की डिग्री की पात्रता- हाई कोर्ट
Delhi News परीक्षा देने से अयोग्य घोषित करने के दिल्ली विश्वविद्यालय के एक फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने छात्र की याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि परीक्षा परिणाम से उसकी डिग्री की पात्रता तय होगी।
विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। परीक्षा देने से अयोग्य घोषित करने के दिल्ली विश्वविद्यालय के एक फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने छात्र की याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि परीक्षा परिणाम से उसकी डिग्री की पात्रता तय होगी।
याचिका के अनुसार विपिन ने 2014 में डीयू में एलएलएम में दाखिला लिया था। तीन वर्षीय एलएलएम पाठ्यक्रम को अधिकतम छह वर्ष में पूरा करना होता है। लेकिन, विपिन इटेलैक्चुअल एंड इंडस्ट्रीयल प्रापर्टी ला विषय का पेपर तय समय सीमा में उत्तीर्ण नहीं कर पाए। उन्होंने याचिका में बताया कि 2014 और 2015 में उन्होंने इस विषय की परीक्षा नहीं दी थी। इसके बाद 2016, 2017 व 2018 में परीक्षा दी, लेकिन सफल नहीं हो सके।
इसके बाद 2019 में परीक्षा उत्तीर्ण करने का उनके पास अंतिम मौका था। डीयू ने 31 अक्टूबर, 2019 को परीक्षा की तारीख की घोषित की, फिर अचानक परीक्षा की तारीख बदल जिसकी वजह से विपिन परीक्षा में शामिल नहीं हो पाए। इस तरह वे परीक्षा देने के लिए अयोग्य हो गए। इसके खिलाफ विपिन ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की और राहत देने की मांग की।
हालांकि, न्यायमूर्ति प्रतीक जालान ने 12 नवंबर, 2020 को राहत देने से इन्कार कर दिया। इसके खिलाफ विपिन ने दो सदस्यीय पीठ के समक्ष याचिका दायर की। दो सदस्यीय पीठ ने विपिन को यह कहते हुए 23 दिसंबर, 2020 को होने वाली परीक्षा में बैठने की अनुमति दे दी कि डीयू ने परीक्षा घोषित करने के संबंध में याची को ई-मेल, एसएमएस या व्यक्तिगत सूचना नहीं दी।
सिर्फ छात्र की जिम्मेदारी नहीं कि वेबसाइट चेक करता रहे
पीठ ने डीयू की इस दलील को ठुकरा दिया कि छात्र को संशोधित परीक्षा तिथि के लिए डीयू की वेबसाइट चेक करनी चाहिए थी। पीठ ने कहा कि यह सिर्फ छात्र की जिम्मेदारी नहीं।