Delhi News: गति पकड़ेंगी जलाशयों व जल संग्रहण के विकास की योजनाएं

भवन सरकारी विभागों के सर्वे के बाद चिह्न्ति किए गए हैं जहां वर्षा जल संग्रहण की व्यवस्था की जाएगी। जमीन में निलोठी एसटीपी के पास जलाशय विकसित कर एसटीपी के उपचारित पानी को संग्रहित किया जाएगा। इसके अलावा पप्पनकलां एसटीपी के पास भी कृत्रिम झील विकसित की जा रही है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Thu, 07 Jan 2021 12:24 PM (IST) Updated:Thu, 07 Jan 2021 12:24 PM (IST)
Delhi News: गति पकड़ेंगी जलाशयों व जल संग्रहण के विकास की योजनाएं
दिल्ली में पेयजल की समस्या को खत्म करने और ग्राउंड वाटर लेवल बढ़ाने के लिए काम किया जा रहा है।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। राजधानी में पेयजल किल्लत की समस्या दूर करने के लिए दिल्ली जल बोर्ड ने जलाशयों के जीर्णोद्धार व कृत्रिम झील विकसित कर जल संग्रहण और सीवरेज के गंदे पानी को शोधित कर उसे भूजल रिचार्ज के योग्य बनाने की पहल की है। इसके लिए जल बोर्ड की कई योजनाएं हैं। उम्मीद है कि नए साल में जलाशयों व कृत्रिम झीलों के विकास की योजनाएं रफ्तार पकड़ेंगी।

कई जलाशयों का इस साल काम पूरा हो सकता है। ये जलाशय भूजल स्तर बढ़ाने में मददगार होंगे। इससे आने वाले समय में जल बोर्ड भूजल से पेयजल आपूर्ति बढ़ा सकेगा। इसके अलावा जल बोर्ड का वर्षा जल संग्रहण की योजनाओं पर विशेष जोर है। पिछले ही माह जल बोर्ड ने वर्षा जल संग्रहण के लिए विशेष अभियान शुरू किया है। यह साल उस अभियान पर अमल का वर्ष का है। इसलिए उम्मीद है कि इस साल मानसून के सीजन में वर्षा जल संग्रहण की व्यवस्था दिल्ली में पहले से ज्यादा बेहतर होगी। जल बोर्ड ने इसके लिए सख्ती भी शुरू कर दी है।

दिल्ली में 100 वर्ग मीटर से ऊपर के भवनों में वर्षा जल संग्रहण होना अनिवार्य है। इस पर अमल नहीं करने वालों के खिलाफ पानी के कुल बिल का 50 फीसद तक जुर्माना किया जा सकता है। जल बोर्ड ने हाल ही में 30 दिन 200 ढांचा का अभियान शुरू किया है। इसके तहत एक माह में वर्षा जल संग्रहण के लिए 200 पिट तैयार करने का लक्ष्य है। 

जल बोर्ड ने अपने सभी 42 क्षेत्रीय राजस्व अधिकारियों को सख्ती से इसका पालन करने का निर्देश दिया है। इसके तहत जल बोर्ड ने आरडब्ल्यूए को भी वर्षा जल संग्रहण की व्यवस्था करने के लिए नोटिस भेजा है। जल बोर्ड 31 मार्च को इस पूरे अभियान की समीक्षा करेगा। जल बोर्ड की यह पहल असरदार साबित हो सकती है। वर्षा जल संग्रहण पिट लगाने पर जल बोर्ड कुल खर्च का 50 फीसद हिस्सा सहायता राशि के रूप में भुगतान करेगा।

योजनाओं पर होगा अमल  

जल बोर्ड ने 376 करोड़ की लागत से 155 जलाशयों के जीर्णोद्धार की पहल की है। इसके तहत 46 जलाशयों के जीर्णोद्धार के लिए टेंडर आवंटित कर चुका है। इसमें से 10 काम पिछले साल ही पूरे होने थे। इसमें इब्राहिमपुर, कराला, दौलतपुर, सिरसपुर, मुंगेशपुर, ¨बदापुर, नंगली पूना, टिकरी कलां, नीलवाल व हिरंकी गांव का जलाशय शामिल है। कोरोना के कारण इन जलाशयों के जीर्णोद्धार का काम प्रभावित हुआ है। नए साल में यह काम पूरा होने की उम्मीद है। 

कृत्रिम झीलों का विकास 

जल बोर्ड करीब 500 एमजीडी सीवेरज शोधित करता है, जबकि सीवरेज के करीब 90 एमजीडी उपचारित पानी का ही गैर घरलू कार्यों में इस्तेमाल हो पाता है। लिहाजा, जल बोर्ड सीवरेज के उपचारित जल से कृत्रिम झील विकसित कर भूजल रिचार्ज करने की योजना पर काम कर रहा है। इसके तहत रोहिणी, द्वारका, निलोठी व पप्पनकलां सीवरेज शोधन संयंत्र (एसटीपी) के नजदीक कृत्रिम झील विकसित होगी। एसटीपी में उपचारित जल को पहले वेटलैंड में ले जाकर साफ किया जाएगा। इसके बाद उसे जलाशय में छोड़ा जाएगा। इन चार कृत्रिम झील में सीवरेज के करीब 40 एमजीडी उपचारित जल का इस्तेमाल होगा। इससे भूजल स्तर बढ़ सकेगा। 

द्वारका में कृत्रिम झील का विकास  

द्वारका में कृत्रिम झील तैयार होने पर 50 एमजीडी की क्षमता वाले जल शोधन संयंत्र (डब्ल्यूटीपी) से शोधन के दौरान निकलने वाले बेकार पानी को दोबारा उपचारित कर व एसटीपी के शोधित पानी को उसमें भरा जाएगा। इससे आसपास के इलाके का भूजल स्तर बढ़ने से आने वाले समय में 15 एमजीडी पानी आपूर्ति बढ़ाई जा सकेगी। 

दो अन्य जलाशयों का भी होगा विकास

तिमारपुर आक्सीडेशन पोंड के पास जलाशय विकसित किया जाएगा। इसके लिए 38 एकड़ जमीन आवंटित की गई है। आवंटित जमीन के छह एकड़ हिस्से में जलाशय विकसित किया जाएगा और शेष 32 एकड़ में बायोडायवर्सिटी पार्क विकसित किया जाएगा। नीरी (राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान) को इस परियोजना की जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा सत्पुला जलाशय के जीर्णोद्धार की भी जल बोर्ड ने पहल की है।

जलाशयों के जीर्णोद्धार व सीवरेज के पानी को शोधित कर भूजल रिचार्ज की है योजना 

बाढ़ के पानी का संग्रहण

दिल्ली सरकार पल्ला में 26 एकड़ में छोटे तालाब बनाकर दो साल से यमुना में बाढ़ के पानी को रोककर उसका इस्तेमाल भूजल रिचार्ज करने में कर रही है। यदि सबकुछ ठीक रहा तो इस साल अधिक क्षेत्र में यह प्रयोग किया जा सकता है। 

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