Delhi News: हुनर हाट में देश भर के दस्तकारों और शिल्पकारों की दिख रही प्रतिभा

जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में चल रहे हुनर हाट में देश भर के दस्तकार और शिल्पकार अपने हुनर का प्रदर्शन कर रहे हैं। उद्घाटन कार्यक्रम में केंद्रीय रक्षामंत्री के उद्बोधन को साकार रूप देते हुए शिल्पकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने की कोशिश कर रहे हैं।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Thu, 25 Feb 2021 02:12 PM (IST) Updated:Thu, 25 Feb 2021 02:12 PM (IST)
Delhi News: हुनर हाट में देश भर के दस्तकारों और शिल्पकारों की दिख रही प्रतिभा
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित हुनर हाट में शिल्पकारों द्वारा बनाए गए लकड़ी के वेस्ट से फूल। फोटो-विपिन शर्मा

गौरव बाजपेई, दक्षिणी दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में चल रहे हुनर हाट में देश भर के दस्तकार और शिल्पकार अपने हुनर का प्रदर्शन कर रहे हैं। उद्घाटन कार्यक्रम में केंद्रीय रक्षामंत्री के उद्बोधन को साकार रूप देते हुए शिल्पकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने की कोशिश कर रहे हैं। चाहे वह उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के कालीन हों, या बारामुला से आने वाले फ्लोर मेट। 

लकड़ी की दस्तकारी और जूट के बने हुए उत्पाद लोगों को खूब भा रहे हैं। जूट उद्योग न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि महिला सशक्तीकरण का उत्कृष्ट नमूना भी है। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद से अपने जूट के बने उत्पाद लेकर दिल्ली के हुनर हाट में आई सोमश्री दास गुप्ता बताती हैं कि उनके इन उत्पादों से एक हजार से ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं।

उनके उत्पाद न केवल इको फ्रेंडली हैं, बल्कि इनसे महिलाओं का सशक्तीकरण भी हो रहा है। उनके पास हैंड बैग, घरेलू सजावट के सामान, डोर मेट व फ्लोर मेट से लेकर घरेलू उपयोग की वस्तुओं की बड़ी रेंज है। उनके पास 50 से 10 हजार रुपये तक की कीमत के सामान उपलब्ध हैं। इन वस्तुओं को बनाने में घरों से निकले हुए जूट का ही इस्तेमाल किया जाता है, जिसे महिलाएं एकत्र करती हैं और उन्हें नए स्वरूप में ढाल देती हैं। 

राजस्थान से आए यूसुफ हाथों से बनाई गई रजाई लेकर आए हैं, जिसका पूरा काम घर में ही किया गया है। यह मौसम के हिसाब से गरमाहट देती है। उप्र के रामपुर गांव से आए नौशाद अहमद बताते हैं कि कोराई ग्रास मेट है, जो तमिलनाडु में होने वाली कोरा ग्रास से बनी है। इसे साफ भी कर सकते हैं, वहीं गुजरात के कच्छ जिले को पहचान कच्छ एंब्रायडरी है। यह हैंडवर्क है। एक-एक धागा हाथ से बुना हुआ है। सूती या रेशमी कपड़े पर तैयार की गई कच्छ वर्क कढ़ाई के पैटर्न बनाने के लिए महीन टांके के लिए रेशम या ऊनी धागे का इस्तेमाल किया जाता है। 

ग्रामीण माहौल में खाने का लुत्फ 

हुनर हाट में व्यंजनों का भी पर्यटक लुत्फ उठा रहे हैं। गांव का एहसास दिलाने के लिए चौपाल बनाया गया है, साथ ही खाने के लिए ढाबे जैसी व्यवस्था की गई है, ताकि लोग गांव की संस्कृति और सभ्यता का आनंद उठा सकें। यहां पर राजस्थान की दाल बाटी चूरमा से लेकर बिहार के लिट्टी चोखा और दिल्ली के चाट तक के स्टाल लगे हुए हैं। उत्तर प्रदेश के अलग-अलग शहरों से आए कुछ विशेष व्यंजन भी इसी कड़ी का हिस्सा हैं।

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