दक्षिणी दिल्ली नगर निगम इलाके में दो करोड़ रुपये की लागत से सीएनजी शवदाह गृह का हुआ निर्माण

दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने सुभाष नगर बेरीवाला बाग में सीएनजी शवदाह गृह का निर्माण किया है। क्षेत्रीय सांसद प्रवेश वर्मा नेता सदन नरेंद्र चावला पश्चिमी जोन के चेयरमैन बी के ओबेराय अतिरिक्त आयुक्त रमेश वर्मा उपायुक्त राहुल सिंह सहित अन्य लोगों ने इसका निरीक्षण किया।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Sun, 28 Feb 2021 12:11 PM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 12:11 PM (IST)
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम इलाके में दो करोड़ रुपये की लागत से सीएनजी शवदाह गृह का हुआ निर्माण
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने सुभाष नगर बेरीवाला बाग में सीएनजी शवदाह गृह का निर्माण किया है।

जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने सुभाष नगर बेरीवाला बाग में सीएनजी शवदाह गृह का निर्माण किया है। निर्माण कार्य पूरा होने के बाद क्षेत्रीय सांसद प्रवेश वर्मा, नेता सदन नरेंद्र चावला, पश्चिमी जोन के चेयरमैन बी के ओबेराय, अतिरिक्त आयुक्त रमेश वर्मा, उपायुक्त राहुल सिंह सहित अन्य लोगों ने इसका निरीक्षण किया। 

नरेंद्र चावला ने बताया कि इसके निर्माण में लगभग 2 करोड़ रुपये की लागत आई और इसका निर्माण कार्य 6 महीने में पूरा कर लिया गया है। यहां पर एक बड़ा हाल बनाया गया है, जिसमें अंतिम संस्कार के लिए दो सीएनजी भट्टियां लगाई गई है। इन सीएनजी भट्टियों के साथ अलग से 30 मीटर ऊंचाई वाली चिमनियां भी लगाई गई है। 

उन्होंने बताया कि सीएनजी भट्टियों द्वारा अंतिम संस्कार करने में सिर्फ 80 मिनट का समय लगेगा, जबकि लकड़ियों से अंतिम संस्कार करने में 3 से 4 घंटे का समय लग जाता है और वातावरण में प्रदूषण फैलता है। इस पहल से निगम ने पर्यावरण संरक्षण की ओर कदम आगे बढ़ाया है। उन्होंने बताया कि दिल्ली में अभी कुछ ही शवदाह गृहों पर सीएनजी की सुविधा उपलब्ध थी। अब दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के इलाके में भी ये सुविधा उपलब्ध हो गई है। इससे प्रदूषण भी कम होगा और समय भी बचेगा। 

दक्षिणी जोन में भी ग्रीन पार्क स्थित सीएनजी शवदाह गृह है। जल्द ही नजफगढ़ जोन के द्वारका सेक्टर-24 में भी इस तरह के सीएनजी शवदाह गृह का निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा। दिल्ली सरकार प्रदूषण को कम करने के लिए हर दिशा में काम कर रही है। इसी के तहत अब शवदाह गृहों को भी सीएनजी में बदलने का काम किया जा रहा है जिससे यहां लकड़ियां न जलाई जाएं और प्रदूषण कम हो सके। 

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