Delhi News: सूख रहीं बावलियां, एएसआइ ने जल बोर्ड से मांगी मदद
कनाट प्लेस स्थित अग्रसेन की बावली आठ साल पहले सूख चुकी है। यह बावली मेट्रो की भूमिगत परियोजनाओं के निर्माण कार्य के दौरान सूख गई थी। इसके बाद इस बावली में पानी लाने के लिए 17 सीढ़ियों तक मिट्टी निकाली गई थी मगर पानी का स्नोत नहीं मिला।
वीके शुक्ला, नई दिल्ली। राजधानी की बावलियां सूख रही हैं, जिनमें कुछ पानी बचा है। वह भी पिछले सालों में कम हो रहा है। इससे चिंतित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने दिल्ली जल बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को पत्र लिखा है। इसमें सूख चुकीं बावलियों में पानी लाने के साथ-साथ जिन बावलियों में पानी है। उसे बढ़ाने के बारे में सुझाव और मदद देने का अनुरोध किया गया है।
कनाट प्लेस स्थित अग्रसेन की बावली आठ साल पहले सूख चुकी है। यह बावली मेट्रो की भूमिगत परियोजनाओं के निर्माण कार्य के दौरान सूख गई थी। इसके बाद इस बावली में पानी लाने के लिए 17 सीढ़ियों तक मिट्टी निकाली गई थी, मगर पानी का स्नोत नहीं मिला। इसके बाद इसी तरह भूमिगत मेट्रो के कार्य के दौरान लालकिला की बावली भी सूख गई थी। तुगलकाबाद स्थित दो बावलियां वर्षों से सूखी पड़ी हैं।
आठ साल से सूखी पड़ी है अग्रसेन की बावली, एएसआइ ने जल बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को लिखा पत्र
निजामुद्दीन दरगाह की बावली: धार्मिक आस्था की प्रतीक इस बावली में कुछ साल पहले तक गंदा पानी बहाया जाता था। मगर आगा खां ट्रस्ट ने मेहनत की और झुग्गियों को यहां से हटवाया, बावली का संरक्षण कराया। बावली का स्नोत खुल गया है। मगर अब इस बावली में बहुत पानी नहीं है। कहा जाता है कि इस बावली को निजामुद्दीन औलिया ने बनवाया था।
इन बावलियों में है पानी
पीर की बावली
इस बावली को फिरोजशाह तुगलक के समय 1351-88 में बनवाया गया था। ऐसी मान्यता है कि यह बावली उस समय एक चमत्कारिक फकीर संत के लिए बनवाई गई थी। यह बावली हिन्दूराव अस्पताल परिसर के एक कोने में स्थित है। इस बावली में भी पानी सूख गया है।
बावली-कोटला फिरोजशाह
इस बावली को भी फिरोजशाह तुगलक के समय 1351-88 में बनवाया गया था। यह बावली किला के अंदर है। यह बावली गोलाई में बनी हुई है। इसमें पानी है, मगर पानी कम होता जा रहा है।
गंधक की बावली
यह बावली महरौली के आर्कियोलॉजिकल पार्क में स्थित है। इस बावली के पानी में गंधक के पानी जैसी गंध आती है। इसे इल्तुतमिश के शासनकाल में 1211-36 के दौरान बनवाया गया था।
राजों की बावली
महरौली स्थित राजों की बावली के बारे में कहा जाता है कि कुतुबमीनार की नींव रखने वाले कुतुबुद्दीन एबक के दामाद इल्तुतमिश ने अपनी बेटी रजिया के लिए इस शाही बावली को बनवाया था। इस बावली में पानी काफी नीचे पहुंच गया है।
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