Delhi-NCR illegal Construction: सख्त करने होंगे सजा के प्रावधान
अवैध निर्माण और सरकारी निर्माण में मुख्य रूप से दो बिंदु सामने आते हैं पहला तो सरकारी विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार और दूसरा निर्माण कार्य में अधिकारियों से लेकर ठेकेदारों की मिलीभगत और लापरवाही। कानूनी प्रक्रिया के तहत रिश्वत लेने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का प्रविधान है।
नई दिल्ली, विनीत त्रिपाठी। अवैध निर्माण और सरकारी निर्माण में मुख्य रूप से दो बिंदु सामने आते हैं पहला तो सरकारी विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार और दूसरा निर्माण कार्य में अधिकारियों से लेकर ठेकेदारों की मिलीभगत और लापरवाही। कानूनी प्रक्रिया की बात करें तो रिश्वत लेने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत कार्रवाई करने का प्रविधान है, जबकि लापरवाही से मौत होने पर भारतीय दंड संहिता की धारा में कार्रवाई का प्रविधान है।
भवन निर्माण से लेकर, फ्लाईओवर व सड़क निर्माण कार्य में होने वाले भ्रष्टाचार व लापरवाही के मामले में सबसे पहले प्रशासनिक स्तर पर सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है। गुणवत्ता बढ़ाने एवं कार्य बेहतर तरीके से कराने के लिए ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने वाले के खिलाफ ऐसी कार्रवाई होनी चाहिए जो एक नजीर पेश करे।
कार्रवाई में खामी :
इस तरह के मामलों में आम तौर पर घटना के दौरान संबंधित अधिकारी या कर्मचारी का निलंबन कर इतिश्री कर ली जाती है। कुछ समय बाद निलंबन भी बहाल कर दिया जाता है, जबकि ऐसे मामलों में जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारी को आरोप पत्र तक ही नहीं मामले की जांच पूरी होने तक निलंबित किया जाना चाहिए।
मनोवैज्ञानिक दबाव है जरूरी :
निर्माण कार्य में इस्तेमाल होने वाली सामग्री से लेकर गुणवत्ता को लेकर अधिकारियों की जवाबदेही तय करनी होगी। हर साल अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ ही उनके परिवार के सदस्यों की संपत्ति का ब्योरा भी सरकार को लेना चाहिए ताकि भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया जा सके। दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों की पदावनति करने से लेकर उन्हें बर्खास्त करने की कार्रवाई की जानी चाहिए।
(प्रतीक सोम, अधिवक्ता, दिल्ली हाई कोर्ट)
सजा का प्रविधान मुनाफे के लिए आम नागरिकों की जान-जोखिम में डालने वाले ठेकेदारों पर भारतीय दंड संहिता की धारा-304-ए के तहत कार्रवाई है जरूरी। 304-ए के तहत दो साल की सजा, जुर्माना या फिर दोनों का प्रविधान है भ्रष्टाचार पर व्यापक और प्रभावी कार्यवाही करने के लिए लोकपाल के माध्यम से जांच कराई जानी चाहिए। लोकपाल द्वारा भ्रष्टाचार के मामलों की जांच होने पर अधिकारियों के साथ ठेकेदारों की जवाबदेही भी तय हो सकेगी और इस तरह की घटनाओं पर लगाम लगाई जा सकेगी।
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