दिल्ली-एनसीआर को पैदल यात्रियों के लिए बनाया जा सकता है सबसे सुरक्षित, बस ये कदम उठाने की जरूरत
चिंताजनक बात यह है कि इनकी सुरक्षा या सुविधा का ध्यान किसी भी परियोजना में नहीं रखा जाता है। यही कारण है कि राजधानी ही नहीं बल्कि पूरे देश में सड़क हादसों में सबसे ज्यादा मौत पैदल यात्रियों और नान मोटराइज्ड वाहन चालकों की ही होती है।
नई दिल्ली [अरविंद कुमार द्विवेदी]। सड़क पर चलते समय सबसे ज्यादा खतरा पैदल यात्रियों और नान मोटराइज्ड वाहन जैसे साइकिल या रिक्शा से चलने वाले लोगों को रहता है। लेकिन चिंताजनक बात यह है कि इनकी सुरक्षा या सुविधा का ध्यान किसी भी परियोजना में नहीं रखा जाता है। यही कारण है कि राजधानी ही नहीं बल्कि पूरे देश में सड़क हादसों में सबसे ज्यादा मौत पैदल यात्रियों और नान मोटराइज्ड वाहन चालकों की ही होती है।
दिल्ली-एनसीआर को पैदल यात्रियों के लिए सुरक्षित बनाने का काफी स्कोप है। बस संबंधित सिविक एजेंसियों को इस दिशा में पहल करने की जरूरत है। सड़क पर चलने वाला हर व्यक्ति महत्वपूर्ण है। भले ही वह किसी वाहन से हों या पैदल। हर मार्ग पर पैदल यात्रियों के लिए डेडिकेटेड लेन बनाया जाना चाहिए ताकि तेज रफ्तार वाहन अपनी लेन में तेज रफ्तार से और पैदल यात्री व नान मोटराइज्ड वाहन अपनी लेन में सुरक्षित तरीके से चल सकें।
मोबिलिटी इन्फ्रास्ट्रक्चर पर हो जोर
सड़क पर साइकिल व पैदल चलने वाले लोगों की सुरक्षा सबसे बड़ी चिंता का विषय है। आज उन तकनीक पर काम करने की जरूरत है जिससे तेज व धीमी रफ्तार वाहन दोनों ही सुरक्षित तरीके से चल सकें। सड़क पर चलने वाले हर व्यक्ति की सुरक्षित यात्र को सुनिश्चित करना जरूरी है। यातायात दबाव वाले दिल्ली-एनसीआर में तो मोबिलिटी इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने पर पूरा जोर होना चाहिए ताकि तेज रफ्तार वाहनों के साथ ह्यूमन मोबिलिटी भी सुचारु रह सके।
पैदल यात्रियों को सड़क हादसों से बचाने के लिए डेडिकेटेड लेन पर काम किया जाना सबसे जरूरी है। साइकिल व मोटरसाइकिल से चलने वाले लोगों के लिए अलग लेन बनाई जाए। पैदल यात्रियों के लिए फुटपाथ बनाए जाएं ताकि वे सुरक्षित तरीके से चल सकें। इसके अलावा फुट ओवरब्रिज, सब-वे और स्काइवाक से पैदल यात्रियों की राह सुरक्षित व आसान की जा सकती है।