Delhi MCD By-Elections 2021: शालीमार बाग का किला बचाने में नाकाम रही भाजपा, भविष्य की चुनौती बढ़ी

Shalimar bagh Delhi Nagar Nigam By-Elections Result 2021उत्तरी और पूर्वी नगर निगम की पांच सीटों के उप चुनाव में भाजपा अपना किला बचाने में भी नाकाम रही है। जिस शालीमार बाग सीट पर 1997 से उसे कभी हार नहीं मिली वह 2705 मतों से हार गई।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Wed, 03 Mar 2021 02:29 PM (IST) Updated:Wed, 03 Mar 2021 02:44 PM (IST)
Delhi MCD By-Elections 2021: शालीमार बाग का किला बचाने में नाकाम रही भाजपा, भविष्य की चुनौती बढ़ी
वर्ष 1997 के बाद पार्टी को इस सीट पर पहली बार मिली हार।

निहाल सिंह, नई दिल्ली। उत्तरी और पूर्वी नगर निगम की पांच सीटों के उप चुनाव में भाजपा अपना किला बचाने में भी नाकाम रही है। जिस शालीमार बाग सीट पर 1997 से उसे कभी हार नहीं मिली, वह 2705 मतों से हार गई। यह पार्टी के भविष्य के लिए अच्छे संकेत नहीं है। ठीक एक वर्ष बाद ही नगर निगम का आम चुनाव होना है।

यहां लगातार तीन बार से काबिज पार्टी को चौथे चुनाव में जोरदार प्रदर्शन के साथ खुद का किला बचाए रखना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा। वह भी तब जब इस उपचुनाव में चमत्कृत प्रदर्शन कर निगम में विपक्ष आम आदमी पार्टी (आप) का उत्साह बढ़ा हुआ है। इस परिणाम से वह भाजपा पर ज्यादा आक्रामक तरीके से हमला करेगी। वहीं, भाजपा के सामने 15 साल के शासन से उत्पन्न सत्ता विरोधी रुझान (एंटी इनकंबेंसी) जैसी बड़ी चुनौती भी अवरोध बनकर खड़ी रहेगी।

शालीमार बाग में चुनाव जीतने के लिए भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी थी। न केवल प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता लगातार चुनाव की निगरानी में लगे थे, बल्कि पूर्व अध्यक्ष मनोज तिवारी, उत्तर-पश्चिमी से सांसद हंसराज हंस और पूर्वी दिल्ली के सांसद गौतम गंभीर तक ने यहां प्रचार किया था।

वर्ष 1997 में निगम के पुर्नगठन के बाद यह सीट लगातार भाजपा ही जीतती रही है। 1997 में तो पार्टी दिल्ली निगम चुनाव में विजयी रही थी, लेकिन वर्ष 2002 के चुनाव में जब भाजपा के खिलाफ माहौल था और दिल्ली निगम चुनाव में कांग्रेस ने जोरदार जीत हासिल की थी, तब भी पार्टी यह किला बचाने में कामयाब रहीं।

पार्टी प्रत्याशी राम किशन सिंघल ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद 2007 का चुनाव भी सिंघल ही भाजपा के टिकट पर जीते। वर्ष 2012 में यह सीट महिला के लिए आरक्षित हुई तो भाजपा की ही प्रत्याशी ममता नागपाल ने यहां से जीत हासिल की। वर्ष 2017 के चुनाव में भी पार्टी यह किला बचा रहा। प्रत्याशी रेणु जाजू ने 3553 वोट से जीत दर्ज की थी।

उनका निधन एक सड़क हादसे में हो गया। इसकी वजह से हुए उप चुनाव में उनकी पुत्रवधू सुरभि जाजू को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया था, लेकिन इस बार आखिरकार पार्टी को पराजय का मुंह देखना पड़ा। इतना ही नहीं, शालीमार बाग विधानसभा क्षेत्र भाजपा का परंपरागत गढ़ रहा है। यहां वह 1993 से लेकर वर्ष 2013 विधानसभा चुनाव में लगातार जीत दर्ज की।

इसी विधानसभा क्षेत्र से विजयी होकर साहिब सिंह वर्मा राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। वर्ष 2015 में यह सीट आप ने भाजपा से छीन ली। जो अब तक उसी के पास बरकरार है। अब निगम उपचुनाव में इस हार ने भाजपा को गहरे संकेत दिए हैं कि दिल्ली के लिहाज से उसकी रणनीति ठीक नहीं है। उसमें आमूलचूल बदलाव लाना होगा, अन्यथा विधानसभा के बाद अब नगर निगम की सत्ताा भी उसके हाथ से फिसल सकती है।  

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