समेकित योजना के साथ किया जाए द्वारका उपनगरी का विकास: बैजल
उपराज्यपाल ने बताया कि द्वारका एशिया की सबसे बड़ी उप नगरी है। मिश्रित भू उपयोग की नीति के द्वारा उपनगरी को इस प्रकार तैयार किया गया था कि सुविधाएं और पर्यावरण दोनों ठीक रहे।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को निर्देश दिया है कि द्वारका उप नगरी की सभी विकास परियोजनाओं को एक समेकित योजना के तहत लाया जाए। उन्होंने विकास परियोजनाओं के लिए रणनीति तैयार करने, इको सिस्टम के अनुरूप विकास योजना बनाने एवं खाली पड़ी भूमि के बेहतर उपयोग के लिए संबंधित एजेंसियों के विशेषज्ञ अधिकारियों की समिति बनाने का सुझाव भी दिया है।
द्वारका एशिया की सबसे बड़ी उपनगरी
मंगलवार को उपराज्यपाल ने बताया कि द्वारका एशिया की सबसे बड़ी उप नगरी है। मिश्रित भू उपयोग की नीति के द्वारा उपनगरी को इस प्रकार तैयार किया गया था कि यहां सभी नागरिक सुविधाएं रिहायशी काॅलोनियों के निकट उपलब्ध हों तथा पर्यावरण के अनुरूप वातावरण भी उपलब्ध हो सके।
1980 के करीब द्वारका उपनगरी को बसाने का कार्य आरंभ किया गया था। लेकिन, इस सब-सिटी का महत्व संचार और परिवहन के उत्तम और सुगम साधनों की उपलब्धता की वजह से काफी बढ़ गया है।
उपराज्यपाल ने आगे बताया कि द्वारका उपनगरी में दिल्ली विकास प्राधिकरण ने 90 फीसद निर्दिष्ट रिहायशी भूमि को विकसित कर लिया है, जबकि 50 फीसद व्यापवसायिक भूमि का ही अभी तक विकास हो पाया है। द्वारका उपनगरी के लिए कुल 1100 हेक्टेयर भूमि चिह्न्ति की गई है, जिसमें मेट्रो रेल नेटवर्क, बस डिपो के साथ-साथ अन्य विकास परियोजनाओं और आधारभूत संरचना के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध है। इस संदर्भ में उपराज्यपाल ने पत्र के माध्यम से निर्देश दिए कि द्वारका उप नगरी में उपलब्ध बेहतर सड़क और मेट्रो नेटवर्क तथा हरियाली यहां बेहतर अवसर प्रदान करते हैं।
उपराज्यपाल ने डीडीए को सलाह दी कि द्वारका का ट्रांजिट ओरियंटेड डेवलपमेंट (टीओडी), नालों का पुनर्विकास, सड़कों का नवीनीकरण, पैदल पथ यात्रियों के लिए समेकित सड़क डिजाइनिंग तथा ब्लू ग्रीन नेटवर्क के आधार पर तेजी के साथ पुनर्विकसित किया जाए। उन्होंने द्वारका में व्यापारिक अवसर के लिए अर्बन डिजाइन प्लान पर कार्य करने को भी कहा। इससे द्वारका के संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जा सकेगा।