Delhi Kisan Andolan: मानवता को कुचलता रहा ‘आंदोलन’

खुद को किसान कहने वाले उपद्रवियों ने दिल्ली को कई दिनों से बंधक बना रखा है लेकिन गणतंत्र दिवस पर दिल्ली की सड़कों से लेकर लाल किले तक जिस तरह से आतंक फैलाया और मानवता को कुचला वो और शर्मनाक है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Wed, 27 Jan 2021 02:17 PM (IST) Updated:Wed, 27 Jan 2021 02:17 PM (IST)
Delhi Kisan Andolan: मानवता को कुचलता रहा ‘आंदोलन’
उपद्रवियों ने लाल किले की प्राचीर पर चढ़कर झंडा फहराया और तोड़फोड़ की।

राहुल सिंह, नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस के मौके पर अधिकतर लोग मंगलवार सुबह जब अपने घरों से निकले, तो किसी को मंदिर जाना था, किसी को दोस्तों से मिलना था, कोई किसी और जरूरी काम से निकला, लेकिन उन्हें कहां मालूम था कि खेतों में अन्न उगाने वाले ट्रैक्टर दिल्ली की सड़कों पर मानवता को कुचलने निकले हुए हैं। 

खुद को किसान कहने वाले उपद्रवियों ने दिल्ली को कई दिनों से बंधक बना रखा है, लेकिन गणतंत्र दिवस पर दिल्ली की सड़कों से लेकर लाल किले तक जिस तरह से आतंक फैलाया और मानवता को कुचला उससे एक मर्तबा तो लगने लगा कि यह भारत जैसे लोकतांत्रिक देश की राजधानी दिल्ली नहीं, बल्कि कुख्यात आतंकी संगठन आइएसआइएस के कब्जे वाला इराक या सीरिया का कोई इलाका है, जहां उपद्रवी आम लोगों और पुलिस के जवानों को ट्रैक्टरों से कुचलने की कोशिश करते हुए कोहराम मचाए हुए थे। 

शांतिपूर्ण रैली निकालने का दावा करने वाले कथित किसानों ने न सिर्फ लोगों की आस्था को चोट पहुंचाई, बल्कि ऐसे लोगों को भी नहीं बख्शा जो सगे-संबंधियों के घर मातम में शामिल होने जा रहे थे। खुद के अन्नदाता होने का दावा करने वाले उपद्रवियों के दिल तब भी नहीं पसीजे जब कई एंबुलेंस में मरीज जीवन और मौत के बीच झूल रहे थे। पूर्वी दिल्ली, उत्तर-पूर्वी दिल्ली और गाजियाबाद से आने वाले लोगों को किसानों के उपद्रव के कारण छह से सात घंटे तक जाम का सामना करना पड़ा। 

लोगों की शिकायतें

पत्नी के दादा की मौत की सुबह 10 बजे जानकारी मिली, जिसके बाद तुरंत घर से निकल गए, लेकिन सड़कों पर तीन घंटे चक्कर काटने के बाद भी रोहिणी नहीं पहुंच सके। दादा के मातम में शामिल होने के लिए मजबूरी में घर से निकले थे, लेकिन परेशान होना पड़ा।

- अनवर खान, कबीर नगर निवासी

सुबह शीशगंज गुरुद्वारे में माथा टेकने के लिए बेटी के साथ निकली, लेकिन रास्ते में उपद्रवियों की वजह से चार से पांच घंटे तक भटकते रहे। पुलिस से मदद मांगी तो पुलिस वाले खुद असहाय नजर आ रहे थे। हम कई घंटे यहां-वहां भटकते रहे।

- मीनू निवासी शाहदरा 

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