भाजपा सांसद गौतम गंभीर को हाई कोर्ट से बड़ी राहत, दवाओं की जमाखोरी मामले में कार्यवाही पर रोक

Drug Hoarding Case कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान दवाओं की जमाखोरी करने के आरोपित सांसद गौतम गंभीर के खिलाफ निचली अदालत में चल रही कार्यवाही पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को रोक लगा दी है।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Tue, 21 Sep 2021 04:28 PM (IST) Updated:Tue, 21 Sep 2021 04:28 PM (IST)
भाजपा सांसद गौतम गंभीर को हाई कोर्ट से बड़ी राहत, दवाओं की जमाखोरी मामले में कार्यवाही पर रोक
सांसद गौतम गंभीर की फाइल फोटोः एएनआइ

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान दवाओं की जमाखोरी करने के आरोपित सांसद गौतम गंभीर के खिलाफ निचली अदालत में चल रही कार्यवाही पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को रोक लगा दी है। निचली अदालत द्वारा जारी समन को चुनौती देने वाली गौतम गंभीर समेत अन्य की याचिका पर न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने दिल्ली ड्रग्स कंट्रोलर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अदालत ने कार्यवाही पर आठ दिसंबर को होने वाली अगली सुनवाई तक कार्यवाही पर रोक लगाई है।

ड्रग्स कंट्रोलर ने गौतम गंभीर फाउंडेशन, फाउंडेशन सीईओ अपराजिता सिंह, सीमा गंभीर, गौतम गंभीर और नताशा गंभीर के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इसके अलावा दो अलग-अलग शिकायत में आप विधायक प्रवीण कुमार व इमरान हुसैन के खिलाफ मामला दर्ज किया था। निचली अदालत ने 26 जुलाई कोर्ट रिकार्ड पर लिया था कि प्राथमिक तौर पर गौतम गंभीर व अन्य ने दवाओं की जमाखोरी का अपराध किया है। अदालत ने सभी को समन जारी करते हुए सुनवाई सात फरवरी 2022 के लिए स्थगित कर दी थी।

तीन जून को ड्रग्स कंट्रोलर ने दिल्ली हाई कोर्ट में कहा था कि दवाओं की जमाखोरी के मामले में गौतम गंभीर फाउंडेशन को दोषी पाया गया है और मामला दर्ज किया गया है। कंट्रोलर ने कहा था कि मामले में बिना किसी देरी के फाउंडेशन के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।  

पुलिस आयुक्त की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई टली

वहीं, गुजरात कैडर के आइपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस आयुक्त के तौर पर नियुक्ति के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई टल गई। अब मामले पर 23 सितंबर को सुनवाई होगी। मामले की सुनवाई कर रही मुख्य पीठ के न बैठने के कारण सुनवाई स्थगित कर दी गई। इससे पहले अस्थाना ने नियुक्ति को सही ठहराते हुए हलफनामा दाखिल करके कहा था कि उनके खिलाफ लगातार मीडिया प्लेटफार्म पर अभियान चल रहा है, जो कि बदले की भावना से उत्पन्न हुई है। वहीं, केंद्र सरकार ने भी हलफनामा दाखिल करके अस्थाना की नियुक्ति का बचाव किया था।

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