उपन्यासों में होती थीं जेल के अंदर कैदी की हत्या जैसी घटनाएं : दिल्ली हाई कोर्ट

Delhis Tihar Jail दिल्ली हाई कोर्ट की पीठ ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि अगर मामले में कोई एफआइआर दर्ज की गई है तो बताएं कि जांच की स्थिति क्या है रिपोर्ट में यह भी बताएं कि जिस बैरक में कैदी बंद था वहां की सीसीटीवी फुटेज है या नहीं।

By JP YadavEdited By: Publish:Thu, 25 Feb 2021 07:59 AM (IST) Updated:Thu, 25 Feb 2021 07:59 AM (IST)
उपन्यासों में होती थीं जेल के अंदर कैदी की हत्या जैसी घटनाएं : दिल्ली हाई कोर्ट
नई दिल्ली स्थित दिल्ली हाई कोर्ट की फाइल फोटो।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। एशिया की सबसे सुरक्षित जेलों में शुमार दिल्ली की तिहाड़ जेल के अंदर एक कैदी की चाकुओं से गोदकर हत्या पर दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने यह कहते हुए हैरानी जताई कि ऐसा तो उपन्यासों में होता है। दिल्ली हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह की पीठ ने उक्त टिप्पणी बेटे की हत्या के बदले पांच करोड़ रुपये का मुआवजा मांगते हुए उसके पिता अली शेर की तरफ से दायर की गई याचिका पर की, साथ ही पीठ ने दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी सरकार व दिल्ली पुलिस से मामले में स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।

इसके अलावा हाई कोर्ट की पीठ ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि अगर मामले में कोई एफआइआर दर्ज की गई है तो बताएं कि जांच की स्थिति क्या है, रिपोर्ट में यह भी बताएं कि जिस बैरक में कैदी बंद था वहां की सीसीटीवी फुटेज है या नहीं। पीठ ने दिल्ली पुलिस से यह भी बताने को कहा है कि कैदी के खिलाफ मुकदमे में क्या हुआ।

अदालत ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि पीड़ित के पिता अली शेर को जांच से जुड़ी सभी जानकारी दी जाए। अदालत ने इन निर्देशों के साथ सुनवाई पांच मार्च तक के लिए स्थगित कर दी। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए स्टैंडिंग काउंसल संजय घोष ने कहा कि राजधानी के अंदर इस तरह की घटना का होना गंभीर चिंता का विषय है।

अधिवक्ता अनवर ए खान के माध्यम से याचिका दायर कर अली शेर ने कहा कि उनका बेटा दिलशेर आजाद सितंबर 2019 से जेल में बंद था। 30 नवंबर को पुलिस ने उन्हें सूचित किया कि उनके बेटे की मौत हो गई है, लेकिन जब वह जेल पहुंचे तो जेल अधिकारियों ने उनके साथ सहयोग नहीं किया और न ही मौत की सही वजह बताई।

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