सीरो-सर्वे की रिपोर्ट मीडिया में आने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सवाल उठाते हुए जताई नाराजगी

अदालत में पेश करने से पहले सीरो-सर्वे की रिपोर्ट मीडिया में आने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सवाल उठाते हुए नाराजगी जताई है। मीडिया में प्रकाशित खबरों को फर्जी बताने की दिल्ली सरकार की दलील पर पीठ ने कहा कि आप यह मत बताइए कि मीडिया अविश्वनीय है।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Wed, 30 Sep 2020 11:30 PM (IST) Updated:Thu, 01 Oct 2020 07:24 AM (IST)
सीरो-सर्वे की रिपोर्ट मीडिया में आने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सवाल उठाते हुए जताई नाराजगी
सीरो-सर्वे की रिपोर्ट मीडिया में आने पर दिल्ली हाई कोर्ट नाराज।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। अदालत में पेश करने से पहले सीरो-सर्वे की रिपोर्ट मीडिया में आने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सवाल उठाते हुए नाराजगी जताई है। मीडिया में प्रकाशित खबरों को फर्जी बताने की दिल्ली सरकार की दलील पर न्यायमूर्ति हिमा कोहली व न्यायमूर्ति एस प्रसाद की पीठ ने कहा कि आप यह मत बताइए कि मीडिया अविश्वनीय है।

पीठ नेे पूछा प्रशासन ने क्‍या कोई खंडन किया 

पीठ ने पूछा मीडिया रिपोर्ट गलत होने के संबंध में प्रशासन द्वारा कोई खंडन नहीं किया गया है। पीठ ने कहा कि 16 सितंबर को सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा था कि सर्वे रिपोर्ट अभी तैयार नहीं है और इसके एक दिन बाद ही रिपोर्ट से जुड़ी प्राथमिक जानकारी मीडिया के लिए उपलब्ध थी। 

मीडिया रिपोर्ट के संबंध में अनिवार्य स्पष्टीकरण

याचिकाकर्ता राकेश मल्होत्रा की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए एडिशनल स्टैंडिंग काउंसल संजय जैन व स्टैंडिंग काउंसल सत्यकाम ने बचाव करते हुए पीठ को सुनश्चित किया कि मीडिया रिपोर्ट के संबंध में अनिवार्य स्पष्टीकरण जारी किया जाएगा।

जांच में 25.1 फीसद में एंटीबॉडी मिली

उन्होंने कहा कि मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि जांच में 33 फीसद लोगों में एंटीबॉडी मिली हैं, जबकि फाइनल रिपोर्ट के हिसाब से सच्चाई ये है कि जांच में 25.1 फीसद में एंटीबॉडी मिली हैं। 16 सितंबर को हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को तीसरी सीरो सर्वे रिपोर्ट को पहले अदालत में पेश करने का निर्देश दिया था। इसके बाद ही रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाएगा, लेकिन अदालत में पेश होने से पहले मीडिया में रिपोर्ट से जुड़ी खबरें आने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई। उन्होंने दिल्ली सरकार का बचाव करते हुए कहा कि ऐसा नहीं माना जाना चाहिए कि दिल्ली सरकार की आरटी-पीसीआर टेस्ट करने की इच्छा नहीं है। सरकार अपनी क्षमता के हिसाब से ज्यादा से ज्यादा टेस्ट करा रही है।

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