हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त कर्मचारियों की कैशलेस चिकित्सा सुविधा के मामले में उठाए सवाल

नई दिल्ली सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए कैशलेस चिकित्सा सेवाओं की मांग वाली याचिका पर नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग द्वारा दाखिल किए गए हलफनामा पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सवाल उठाते हुए नाखुशी जाहिर की। शिकायत यह है कि संशोधित योजना के तहत बिल सीधे आपके पास आएंगे।

By Pradeep ChauhanEdited By: Publish:Fri, 03 Dec 2021 06:45 PM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 06:45 PM (IST)
हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त कर्मचारियों की कैशलेस चिकित्सा सुविधा के मामले में उठाए सवाल
मामले में आगे की सुनवाई 27 अप्रैल 2022 को होगी।

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। नई दिल्ली सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए कैशलेस चिकित्सा सेवाओं की मांग वाली याचिका पर नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग द्वारा दाखिल किए गए हलफनामा पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सवाल उठाते हुए नाखुशी जाहिर की। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल व न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि आपने हलफनामा में प्रतिपूर्ति शब्द का इतना इस्तेमाल किया है और यह कैशलेस सर्विस जैसा नहीं है।पीठ ने कहा कि आपके बयान विरोधाभासी हैं।

शिकायत यह है कि संशोधित योजना के तहत बिल सीधे आपके पास आएंगे और आप पेंशनभोगियों को चार्ज किए बिना भुगतान करेंगे। लेकिन आप प्रतिपूर्ति शब्द का उपयोग कर रहे हैं। यह यहां की सबसे खराब स्थिति है। शिकायत है कि आप अपनी नीति का पालन नहीं कर रहे हैं। पीठ ने यह भी कहा था कि चिकित्सा बिलों का भुगतान किस तरीके से किया जाना है, यह एक नीतिगत निर्णय है और इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। मामले में आगे की सुनवाई 27 अप्रैल 2022 को होगी।

अखिल दिल्ली प्रथम शिक्षक संघ ने याचिका दायर कर मांग की थी कि प्रचलित व्यवस्था के बजाय सीधे भुगतान करने का निर्देश दिया। प्रचलित व्यवस्था के तहत एक सेवानिवृत्त कर्मचारी को पहले चिकित्सा उपचार के लिए भुगतान किया जाता है और बाद में एमसीडी के स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रतिपूर्ति की जाती है। संघ की तरफ से अधिवक्ता रंजीत शर्मा ने कहा कि अस्पताल में किए गए भुगतान के लिए सेवानिवृत्त कर्मचारियों को प्रतिपूर्ति करने में प्राधिकरण को बहुत लंबा समय लगता है।

पीठ ने मामले में दोनों पक्षों को ताजा हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। संघ ने याचिका में कहा था कि समय पर पेंशन न पाने वाले बड़ी संख्या में सेवानिवृत्त कर्मचारियों को अपने इलाज के लिए पैसे की व्यवस्था करने में अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि अस्पतालों ने कोरोना माहमारी के दौरान कैशलेस इलाज नहीं दिया।

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