अर्जुन पुरस्कार विजेता शूटर का पैराओलिंपिक में चयन नही करने पर PCI का आचरण अशोभनीयः हाई कोर्ट
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने अपने आदेश में कहा कि पीसीआइ पर निष्पक्ष पारदर्शी व समावेशी दृष्टिकोण बनाए रखने की जिम्मेदारी थी लेकिन शर्मा पर किसी अन्य खिलाड़ी के चयन करने का आचरण सार्वजनिक खेल निकाय के लिए अशोभनीय था।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। पांच बार के पैरालिंपियन शूटर व अर्जुन पुरस्कार विजेता नरेश कुमार शर्मा के बजाए किसी अन्य खिलाड़ी का टोक्यो ओलिंपिक के लिए चयन करने के पैरालिंपिक कमेटी आफ इंडिया (पीसीआइ) पर दिल्ली हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने अपने आदेश में कहा कि पीसीआइ पर निष्पक्ष, पारदर्शी व समावेशी दृष्टिकोण बनाए रखने की जिम्मेदारी थी, लेकिन शर्मा पर किसी अन्य खिलाड़ी के चयन करने का आचरण सार्वजनिक खेल निकाय के लिए अशोभनीय था।
चयन नहीं होने के खिलाफ नरेश की याचिका पर उक्त टिप्पणी हाई कोर्ट ने मंगलवार को सुनाए अपने फैसले में की। इसकी प्रति बुधवार को हाई कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड की गई। पीठ ने कहा कि नरेश शर्मा द्वारा मानदंडों को पूरा करने के बावजूद पीसीआइ ने अंतरराष्ट्रीय पैरालिंपिक समिति (आइपीसी) के साथ दीपक का आर-सात शूटिंग इवेंट और पैरालंपिक शूटिंग टीम चयन सुनिश्चित करने के लिए कुछ चिंताओं को उठाया। ऐसा करके पीसीआइ ने अपने स्वयं के मानदंडों का उल्लंघन किया।
पीठ ने कहा कि पीसीआइ ने नरेश शर्मा समेत अन्य निशानेबाजों को यह नहीं बताया कि टोक्यो ओलिंपिक में चयन के लिए नोवी-सद ग्रैंड प्रिक्स-2021 के स्कोर को स्वीकार किया जाएगा, जिसमें पैराओलिंपिक के लिए चयनित दीपक ने हिस्सा लिया था।
हालांकि, पीसीआइ की चयन प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से करते हुए पीठ ने केंद्र सरकर को निर्देश दिया कि याचिका में लगाए गए आरोपों का परीक्षण करें और जरूरत पड़ने पर कानून के हिसाब से उचित कार्रवाई करें। शर्मा ने याचिका दायर कर दावा किया था कि पैराओलिंपिक के लिए चयनित शूटर दीपक पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं और उनके साथ चयन में पीसीआइ ने भेदभाव किया है।