आंतरिक स्थानांतरण देने से इन्कार करने के बंगाल सरकार के रुख पर हाई कोर्ट ने उठाया सवाल

अधिकारियों के आंतरिक स्थानांतरण के अनुरोधों को अस्वीकार करने के बंगाल सरकार के रुख पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सवाल उठाया है। पीठ ने कहा कैट ने याचिकाकर्ता द्वारा लिए गए स्टैंड पर विचार करने के बाद फैसला दिया था कि सरकार को नया आदेश जारी करने की जरूरत है।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Mon, 13 Sep 2021 07:33 PM (IST) Updated:Mon, 13 Sep 2021 07:33 PM (IST)
आंतरिक स्थानांतरण देने से इन्कार करने के बंगाल सरकार के रुख पर हाई कोर्ट ने उठाया सवाल
बगैर उचित तथ्यों के बंगाल सरकार ठुकरा रही है आंतरिक स्थानांतरण के अनुरोध : हाई कोर्ट

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों के आंतरिक स्थानांतरण के अनुरोधों को अस्वीकार करने के बंगाल सरकार के रुख पर दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम सवाल उठाया है। न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह ने कहा कि हम देख रहे हैं कि शादी के आधार पर अन्य राज्य में आंतरिक स्थानांतरण की मांग करने वाले अधिकारियों के अनुरोध को बगैर किसी उचित तथ्यों को पेश किए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा ठुकराया जा रहा है। इसमें कोई विवाद नहीं है कि केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट)-1954 नियम-5(2) के तहत प्रतिवादी भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) अधिकारी रीना जोशी आतंरिक स्थानांतरण की मांग करने की हकदार हैं।

पीठ ने कहा कैट ने याचिकाकर्ता (पश्चिम बंगाल सरकार) द्वारा लिए गए स्टैंड पर विचार करने के बाद फैसला दिया था कि सरकार को नया आदेश जारी करने की जरूरत है। दलीलों को सुनने के बाद पीठ ने कैट के फैसले में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया।

पीठ ने कहा कि बंगाल सरकार ने बगैर कोई उचित तथ्य पेश किए अधिकारियों की कमी का हवाला देते हुए प्रतिवादी रीना जोशी के आंतरिक स्थानांतरण के अनुरोध को ठुकराया है। पीठ ने कहा कि हम देख रहे हैं कि एक के बाद एक मामले में बंगाल सरकार ने शादी के आधार पर आंतरिक स्थानांतरण की मांग करने वाले अधिकारियों के अनुरोध को एक ही आधार पर ठुकरा रही है।

पीठ ने कहा कि जब तक कि आतंरिक स्थानांतरण करने से मना करने के क्रम में कारणों का उल्लेख नहीं किया जाता है या प्रासंगिक तथ्यों को पेश नहीं किया जाता तब तक यह अदालत आदेश पारित नहीं कर सकती है। पीठ ने कहा कि याचिका का कोई आधार नहीं है और इसे खारिज किया जाता है।

यह है मामला

बंगाल कैडर से संबंधित भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) अधिकारी रीना जोशी ने वर्ष 2016 में आतंरिक स्थानांतरण करने का बंगाल सरकार से अनुरोध किया था। उन्होंने कहा था कि उनके पति वर्ष 2012 बैच के भारतीय वन सेवा अधिकारी (आइएफएस) हैं और उत्तराखंड कैडर में तैनात है। ऐसे में उनका भी आतंरिक स्थानांतरण किया जाए। हालांकि, बंगाल सरकार ने राज्य में अधिकारियों की कमी का आधार बताते हुए 30 नवंबर 2016 को रीना जोशी के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ रीना ने कैट में अपील दायर की थी।

कैट ने अधिकारियों के कमी की दलील देकर अनुरोध को अस्वीकार करने के आदेश को खारिज कर दिया था। साथ ही सरकार को छह सप्ताह के अंदर नया आदेश जारी करने का निर्देश दिया था। कैट ने यह भी स्पष्ट किया था कि यदि उस समय तक उसे कार्यमुक्त नहीं किया जाता है, तो उसे छह सप्ताह की समाप्ति पर कार्यमुक्त माना जाएगा। कैट के फैसले को सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। पीठ ने पूरे मामले की सुनवाई के बाद कैट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया।

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