दिल्ली में डेंगू से निपटने में विफल MCD को हाई कोर्ट की फटकार, पूछा- दोगुने मामलों के लिए कौन जिम्मेदार?
दिल्ली में डेंगू के खतरे को नियंत्रित करने में अधिकारियों की विफलता पर तल्ख टिप्पणी हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि प्रशासक प्रशासन नहीं कर रहे हैं और नीतियां केवल लोकलुभावन तरीके से बनाई जा रही हैं यही हो रहा है।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। दिल्ली में डेंगू के खतरे को नियंत्रित करने में अधिकारियों की विफलता पर तल्ख टिप्पणी हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि प्रशासक प्रशासन नहीं कर रहे हैं और नीतियां केवल लोकलुभावन तरीके से बनाई जा रही हैं, यही हो रहा है। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि यह प्रशासन का पूर्ण पैरालेसिस है। न तो किसी को परवाह है और न ही कोई भी जवाबदेह है। ऐसा होता है और होता रहेगा, लोग मरेंगे। हमारे पास इतनी बड़ी संख्या में आबादी है। कोई फर्क नहीं पड़ता। बस यही रवैया है।
पीठ ने यह भी कहा कि अगर केवल इन असली मुद्दों पर चुनाव लड़े और जीते गए, तो हमारे पास एक अलग शहर होगा। आज वे मुफ्त में लड़े जा रहे हैं। पीठ ने उक्त टिप्पणी एसडीएमसी की उस याचिका पर सुनवाई करते हुए दी। जिसमें निगम ने एसडीएमसी और अन्य स्थानीय निकायों पर एक अप्रैल 2016 से प्रभावी अनुदान की पूर्वव्यापी वसूली के दिल्ली सरकार के फैसले को मनमाना बताया है।
एसडीएमसी की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता संजीव सागर ने पीठ को बताया कि पहले के आदेश के अनुसार 29 नवंबर को एक बैठक आयोजित की गई थी। इसमें ज्यादा बाारिश होने पर मौजूदा उपायों के साथ नए उपायों की पहचान करने पर चर्चा हुई थी ताकि डेंगू की स्थिति की पुनरावृत्ति से बचा जा सके। उन्होंने यह भी बताया कि लोगों को जागरुक करने से लेकर अन्य पहलुओं पर चर्चा हुई थी। हालांकि, पीठ ने इसे बहाना करार देते हुए पूछा कितने मास्केटो ब्रीडर्स नियुक्त किए गए, इस वर्ष में कितनी जगहों पर चालान किया गया। पीठ ने यह भी कहा कि हम लगातार कर्मचारियों की बायोमैट्रिक उपस्थिति पर भी कह चुके हैं।
कुछ लोग नहीं कर रहे कर्तव्यों का पालन, किसे ठहराया जिम्मेदार
पीठ ने कहा कि आपके पास 1120 ब्रीडिंग चेकर्स, 1400 फील्ड वर्कर हैं और 236 मलेरिया इंस्पेक्टर हैं। अब स्पष्ट रूप से देखें, अगर एक साल में संख्या दोगुनी हो गई है, तो कुछ लोग ऐसे होंगे जिन्होंने अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया है। यदि आपके पास दिल्ली में 2700 लोग हैं। कोई ऐसा होना चाहिए जिसे जिम्मेदारी लेनी पड़े? वह व्यक्ति कौन है जिसे इस दोगुने मामलों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है? इस पर निगम अधिवक्ता ने कहा कि कुछ आरडब्ल्यूए द्वारा सहयोग नहीं करने के कारण कर्मचारियों को समस्या आ रही है।
आपको लगता है लोग नाराज हाेंगे तो वोट नहीं देंगे
निगम अधिवक्ता की दलील पर पीठ ने कहा कि ये सब बातें आप हमें बता रहे हैं। यह आपको करना है। पीठ ने कहा कि समस्या यह है कि आज आप सभी अपने दृष्टिकोण में इतने लोकलुभावन हो गए हैं कि आपको लगता है कि अगर हम कुछ करते हैं तो लोग नाराज होंगे और आपको वोट नहीं मिलेगा। सब कुछ उसी एक विचार से संचालित होता है। सुनवाई के अंत में पीठ ने कहा कि शहर में डेंगू और मच्छर की स्थिति के मुद्दों पर अदालत की सहायता के लिए एक न्याय मित्र नियुक्त करेगा।