टीटीएफआइ के नियम पर दिल्ली हाई कोर्ट ने लगाई अस्थायी रोक, जांच का दिया आदेश
पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय शिविर में अनिवार्य उपस्थिति वाले नियम को ऐसे समय पर लागू किया गया जब राष्ट्रीय कोच के खिलाफ शिकायत लंबित थी। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने अदालत काे सूचित किया कि उम्मीदवारों के चयन के लिए योग्यता ही एकमात्र मानदंड होना चाहिए।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने एक तरफ जहां राष्ट्रीय कैंप में भाग लेना अनिवार्य करने के टेबल टेनिस फेडरेशन आफ इंडिया (टीटीएफआइ) के नियम पर अस्थायी रोक लगा दी है। वहीं, मनिका बत्रा की शिकायत पर टीटीएफआइ के खिलाफ जांच कराने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने अगर जरूरत पड़ी तो केंद्रीय खेल मंत्रालय टीटीएफआइ के मामलों को भी देख सकता है।
पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय शिविर में अनिवार्य उपस्थिति वाले नियम को ऐसे समय पर लागू किया गया जब राष्ट्रीय कोच के खिलाफ शिकायत लंबित थी। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने अदालत काे सूचित किया कि उम्मीदवारों के चयन के लिए योग्यता ही एकमात्र मानदंड होना चाहिए और शिविर में भाग लेने या न होने से भारत अपने सर्वश्रेष्ठ एथलीट को आगे भेजने से नहीं रोकेगा।
केंद्र सरकार का रुख जानने के बाद पीठ ने महासंघ द्वारा समिति गठित करके के तरीके पर भी नाराजगी व्यक्त की। पीठ ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि मामले की जांच करके चार सप्ताह के अंदर जवाब दाखिल करें। पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार मामले में राष्ट्रीय कोच का पक्ष जान सकती है। मामले में अगली सुनवाई 28 अक्टूबर को होगी।
मनिका बत्रा ने राष्ट्रीय शिविर में भाग लेना अनिवार्य करने के टीटीएफआइ के नियम को चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि सारे मानदंडों पर खरा उतरने के बावजूद सिर्फ राष्ट्रीय शिविर में भाग नहीं के आधार पर दोहा में सितंबर-अक्टूबर में होने वाली चैंपियनशिप में उन्हें खेलने का मौका नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने राष्ट्रीय शिविर में शामिल होना अनिवार्य करने टीटीएफआइ के नियम पर रोक लगाने की मांग की है। टीटीएफआइ ने बत्रा के सभी आरोपों का खंडन किया है।