दिल्ली में 'मुफ्त पानी' पर हाई कोर्ट सख्त, यहां फंसा है पेंच

इसी साल 24 मई को हुई सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने राज्य में मुफ्त पानी नीति को लेकर आम आदमी पार्टी सरकार की आलोचना की थी। ।

By JP YadavEdited By: Publish:Tue, 11 Dec 2018 01:54 PM (IST) Updated:Tue, 11 Dec 2018 02:25 PM (IST)
दिल्ली में 'मुफ्त पानी' पर हाई कोर्ट सख्त, यहां फंसा है पेंच
दिल्ली में 'मुफ्त पानी' पर हाई कोर्ट सख्त, यहां फंसा है पेंच

नई दिल्ली, जेएनएन। देश की राजधानी दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार द्वारा जनता को मुफ्त पानी देने को लेकर दायर जनहित याचिका पर मंगलवार दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई होगी। पिछली सुनवाई में हाई कोर्ट ने मुफ्त पानी देने को लेकर सख्त आपत्ति जताई है।

24 मई को हुई सुनवाई में दिल्ली हाईकोर्ट ने राज्य में मुफ्त पानी नीति को लेकर आम आदमी पार्टी सरकार की आलोचना की थी। हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार को जमकर फटकार लगाई थी। कार्यकारी मुख्य जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी हरी शंकर की बेंच ने कहा था 'किसी को भी मुफ्त में कुछ नहीं दिया जाना चाहिए। 10 पैसा या 1 पैसा चार्ज करिये। वास्तव में जरूरतमंद लोगों के अलावा किसी को कुछ फ्री नहीं दिया जाना चाहिए।' कोर्ट ने यह टिप्पणी उस समय की जब वरिष्ठ वकील और एमिकस क्यूरी राकेश खन्ना ने इस मुद्दे पर अदालत के हस्तक्षेप की मांग की थी।

दिल्ली सरकार और दिल्ली जल बोर्ड की ओर से पेश हुए वकील दयान कृष्णन ने मुफ्त पानी नीति का बचाव किया था। उन्होंने कहा कि इसमें पानी का संरक्षण सुनिश्चित है क्योंकि मुफ्त इस्तेमाल के लिए 20 हजार किलो लीटर की सीमा है। 

बता दें कि मुफ्त पानी योजना के तहत हर महीने करीब 10 लाख उपभोक्ताओं को जल बोर्ड निशुल्क पानी उपलब्ध करा रहा है। बदले में दिल्ली सरकार ने पिछले वित्त वर्ष में जल बोर्ड को सब्सिडी के रूप में 425 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। मौजूदा वित्त वर्ष में भी मुफ्त पानी की योजना पर सब्सिडी के रूप में इतनी ही राशि का प्रावधान किया गया है। इस योजना को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट की टिप्पणी से दिल्ली सरकार व जल बोर्ड के लिए असहज स्थिति पैदा हो गई है। 

जल बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि कोर्ट की टिप्पणी के बाद सरकार को इस योजना की समीक्षा करनी पड़ सकती है। जल बोर्ड भले ही करीब 10 लाख उपभोक्ताओं को निशुल्क पानी उपलब्ध करा रहा हो पर इससे विभाग को कोई नुकासान नहीं है, क्योंकि दिल्ली सरकार जल बोर्ड को सब्सिडी दे रही है। इसलिए जल बोर्ड के राजस्व पर इसका असर नहीं पड़ा है।

सरकार के खजाने पर इसका बोझ जरूर पड़ रहा है। मौजूदा समय में जल बोर्ड के करीब 24 लाख उपभोक्ता हैं, जिसमें से करीब 14 लाख उपभोक्ताओं को इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। जल बोर्ड की शर्तो के अनुसार पानी का मीटर चालू हालत में होने पर ही मुफ्त पानी का लाभ मिलता है।

इसके अलावा जो उपभोक्ता प्रतिमाह 20 हजार लीटर से अधिक पानी खपत करते हैं उन्हें बिल भुगतान करना पड़ता है। सरकार व जल बोर्ड को सबसे अधिक नुकसान पानी के अवैध इस्तेमाल से उठाना पड़ रहा है।

जल बोर्ड यह बात खुद स्वीकार कर चुका है कि उपलब्ध पानी का 47 फीसद हिस्सा बर्बाद हो जाता है या उसका अवैध दोहन किया जाता है। हजारों लोगों के घर पानी के अवैध कनेक्शन हैं, जो पानी का बिल नहीं चुकाते। जल बोर्ड प्रतिदिन करीब 900 एमजीडी (मिलियन गैलन प्रतिदिन) पानी आपूर्ति करता है। इसमें करीब 477 एमजीडी पानी का बिल जल बोर्ड वसूल पाता है। शेष पानी कहां जाता है इसका हिसाब उसके पास नहीं होता। 

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