Delhi: कोच को ‘फुटबॉल’ बनाने की गलतफहमी में ‘सेल्फ गोल’ कर बैठा खिलाड़ी, कोर्ट में दी ये दलील
नाबालिग का आरोप था कि जब वह प्रतियोगिता के लिए इंफाल गया था तो रेल यात्रा के दौरान कोच ने दो बार उसे गलत तरीके से छुआ। कैंप में पहुंचने के बाद भी अलग-अलग मौके पर कोच ने उसे गलत जगह पर छुआ।
नई दिल्ली [सुशील गंभीर]। नाबालिग फुटबॉल खिलाड़ी ने पहले अपने कोच पर यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पाक्सो) एक्ट के तहत केस दर्ज कराया, लेकिन बाद में बयान बदलते हुए कहा कि उसे गलतफहमी हो गई थी। निचली अदालत इस मामले में आरोप तय कर चुकी थी, लेकिन हाई कोर्ट ने आरोपित कोच को बरी करने का आदेश दिया है।
कोच दिल्ली के एक सरकारी स्कूल में तैनात हैं। वे साल 2019 में स्कूल गेम फेडरेशन के बैनर तले एक अंडर-14 फुटबॉल टीम लेकर मणिपुर गए थे। वहां से लौटने पर एक 13 वर्षीय खिलाड़ी ने पिता के जरिये सरोजनी नगर थाने में कोच के खिलाफ पाक्सो के तहत केस दर्ज कराया था।
नाबालिग का आरोप था कि जब वह प्रतियोगिता के लिए इंफाल गया था, तो रेल यात्रा के दौरान कोच ने दो बार उसे गलत तरीके से छुआ। कैंप में पहुंचने के बाद भी अलग-अलग मौके पर कोच ने उसे गलत जगह पर छुआ। साथ ही कोच ने उसे गलत ढंग से बुलाया। इस शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज आरोपित कोच को गिरफ्तार कर लिया था।
कोच पर पाक्सो का केस दर्ज कराया, फिर कहा गलतफहमी हो गई
कोच की तरफ से अधिवक्ता आशीष जार्ज ने हाई कोर्ट में अर्जी दायर की, जिसमें कहा गया कि शिकायतकर्ता समय-समय पर अपने बयान बदलता रहा है। अब इस अर्जी के साथ शपथपत्र दायर किया है। इसमें कहा गया है कि उसने गलतफहमी में केस दर्ज करा दिया था। वहीं, बचाव पक्ष की तरफ से न्यायमूर्ति विभू बाखरू की अदालत में दलील दी गई कि शिकायतकर्ता के बयान का न तो उसके साथी खिलाड़ियों और न ही दूसरे कोच ने समर्थन किया है।
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