अगर हनी ट्रैप में दर्ज कराए जा रहे हैं दुष्कर्म के केस, तो 4 सप्ताह में दाखिल करें विस्तृत रिपोर्टः HC
आरोपित पक्ष की तरफ से हाई कोर्ट को बताया कि शिकायतकर्ता ने आरोपित से संपर्क किया और नौकरी मांगी। जब आरोपित ने सकारात्मक जवाब दिया तो शिकायतकर्ता ने बजाए पेशेवर जानकारी और फोटो भेजने के अश्लील कपड़ों में अपनी उत्तेजक फोटो आरोपित को भेजना शुरू कर दिया।
नई दिल्ली [सुशील गंभीर]। दुष्कर्म के एक मामले में आरोपित कारोबारी को अग्रिम जमानत देने के साथ ही हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस आयुक्त के लिए निर्देश दिए हैं। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैथ ने कहा कि राजधानी में अगर हनी ट्रैप में पैसों की वसूली न होने के बाद दुष्कर्म के मामले दर्ज हुए हैं, तो एक विस्तृत रिपोर्ट चार सप्ताह में दायर की जाए। क्योंकि याचिकाकर्ता ने जमानत अर्जी के साथ जो शिकायतकर्ता की वाट्सएप चैट और फोटो संलग्न की हैं, उन्हें देखकर तो यही लगता है कि याचिकाकर्ता को फंसाया गया है।
न्यायमूर्ति ने कहा कि अभियोजन पक्ष के केस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते, लेकिन याचिकाकर्ता अदालत से राहत पाने के योग्य है। लिहाजा 25 हजार रुपये के मुचलके साथ अग्रिम जमानत मंजूर की गई है। साथ ही याचिकाकर्ता को निर्देश दिया गया है कि पुलिस जब भी पूछताछ के लिए बुलाए, तो जाना होगा। साथ ही दुष्कर्म के मामले में शिकायतकर्ता पर किसी तरह का दबाव नहीं बनाया जाएगा। अदालत ने पुलिस आयुक्त को भी कहा है कि इस मामले को निजी तौर पर अपनी निगरानी में लें।
अभियोजन पक्ष की तरफ से हाई कोर्ट को बताया गया कि शिकायतकर्ता और आरोपित 24 अगस्त तक एक-दूसरे को नहीं जानते थे। शिकायतकर्ता एक नौकरी की तलाश में थी और उसने आरोपित को वाट्सएप पर संदेश भेजा। इस पर आरोपित ने कहा कि वह अपने लिए सुंदर निजी सहायक की तलाश में है। इसके बाद दोनों पक्षों में बैठक तय हुई और आरोपित शराब की बोतल लेकर शिकायतकर्ता के घर गया। वहां पर आरोपित ने शिकायतकर्ता के साथ दुष्कर्म किया। उसने जब अपने पड़ोसी को बुलाया तो आरोपित वहां से भाग गया।
वहीं, आरोपित पक्ष की तरफ से हाई कोर्ट को बताया कि शिकायतकर्ता ने आरोपित से संपर्क किया और नौकरी मांगी। जब आरोपित ने सकारात्मक जवाब दिया तो शिकायतकर्ता ने बजाए पेशेवर जानकारी और फोटो भेजने के, अश्लील कपड़ों में अपनी उत्तेजक फोटो आरोपित को भेजना शुरू कर दिया। शिकायतकर्ता ने अपनी पूरी चैट में कहीं भी वेतन और दफ्तर के समय की कोई बात नहीं की। जब शिकायतकर्ता को भरोसा हो गया कि वह जाल में फंसाने में कामयाब हो गई तो उसने आरोपित को घर बुलाया। इसके बाद पांच लाख रुपये की मांग पूरी न करने पर दुष्कर्म का केस दर्ज करा दिया। शिकायतकर्ता ने जिस पड़ोसी को अपना मददगार बताया, असल में वह उसका घनिष्ठ मित्र है। आरोपित पक्ष की तरफ से हाई कोर्ट में कहा गया कि यह केस पूरी साजिश रचकर दर्ज कराया गया है और आजकल इस तरह के कई मामले सामने आ रहे हैं।
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