Delhi Good News: राजधानी में सुधरेगी एफओबी और सब-वे की दशा, होगा लोगों को लाभ

राजधानी में 2015 तक बने फुट ओवरब्रिज (एफओबी) और सब-वे की मजबूती और सुविधाओं का अध्ययन होने जा रहा है। छह माह के अंदर लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को इस संबंध में रिपोर्ट मिलेगी जिसके बाद इनकी दशा सुधारी जाएगी।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Mon, 01 Mar 2021 01:10 PM (IST) Updated:Mon, 01 Mar 2021 01:10 PM (IST)
Delhi Good News: राजधानी में सुधरेगी एफओबी और सब-वे की दशा, होगा लोगों को लाभ
प्रगति मैदान के पास कबाड़ बनी फुट ओवरब्रिज में लगी लिफ्ट। फोटो- संजय।

वी.के.शुक्ला, नई दिल्ली। राजधानी में 2015 तक बने फुट ओवरब्रिज (एफओबी) और सब-वे की मजबूती और सुविधाओं का अध्ययन होने जा रहा है। छह माह के अंदर लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को इस संबंध में रिपोर्ट मिलेगी जिसके बाद इनकी दशा सुधारी जाएगी। मार्च या अप्रैल से यह कार्य शुरू हो जाएगा। कई फुट ओवरब्रिज में लिफ्ट हैं, लेकिन खराब पड़ी हैं। एस्केलेटर बंद पड़े हैं। इनकी खराब हालत को देखते हुए योजना विभाग ने 74 एफओबी और 37 सब-वे का सर्वे किया था।  

 सर्वे में आई रिपोर्ट

सर्वे में पता चला कि 74 एफओबी में से 57 में लिफ्ट नहीं हैं। 17 में लिफ्ट हैं, लेकिन केवल नौ जगह ही काम कर रही हैं। 17 एफओबी में एस्केलेटर हैं। सर्वे के दौरान एफओबी और सब-वे का प्रयोग नहीं करने वाले ज्यादातर लोगों ने सुरक्षा का मुद्दा उठाया था और कहा था कि अगर सुरक्षा गार्ड हों तो वे इनका प्रयोग कर सकते हैं। राजधानी में ऐसे भी एफओबी हैं, जिनमें छत और लाइट की सुविधा नहीं है। कुछ ऐसे हैं जिनकी फ्लोरिंग अच्छी नहीं है। सर्वे के अनुसार 36 फीसद एफओबी में छत नहीं हैं, 22 फीसद में लाइट नहीं है और 32 फीसद की फ्लोरिंग की स्थिति दयनीय है। 

इस तरह के भी हैं एफओबी

2010 में 12 करोड़ 33 लाख की लागत से जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम के पास अर्ध चंद्राकार ओवरब्रिज बनाए गए थे, जिनकी लंबाई 90 मीटर है। इसी तकनीक से गाजीपुर गांव के पास मुख्य मार्ग पर और ब्रिटानिया चौक के पास सात करोड़ 20 लाख की लागत से फुट ओवरब्रिज बनाए गए हैं। 

इसके अलावा कई जगहों पर ऐसे भी एफओबी बने हुए हैं जिनका लोग इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। उनका कहना है कि यहां पर एफओबी पर चढ़ने के लिए लिफ्ट ही नहीं लगी है। लोगों को पैदल सीढ़ियां चढ़कर ऊपर जाना पड़ता है उसके बाद वो दूसरी ओर जा पाते हैं। कुछ एफओबी तो सिर्फ विज्ञापन लगाने का केंद्र बनकर रह गए हैं। ऐसे में उनका भी इस्तेमाल नहीं होता है। 

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