Uphaar Cinema Case: दिल्ली कोर्ट की अहम टिप्पणी- न्यायपालिका ने लोगों का भरोसा खोया तो खतरे में होगा लोकतंत्र
Uphaar Cinema Case दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने कहा कि एक आपराधिक न्याय प्रणाली न केवल कानून से अपनी वैधता को संचालित करती है बल्कि इससे कहीं अधिक लोगों के इस पर विश्वास से संचालित करती है।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। Uphaar Cinema Case: दक्षिण दिल्ली के साकेत इलाके में वर्ष 1997 में उपहार सिनेमाघर अग्निकांड से जुड़े मामले में अहम टिप्पणी करते हुए दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने कहा कि अगर संस्था के रूप में न्यायपालिका ने लोगों का भरोसा खो दिया तो लोकतंत्र का पोषित मूल्य भी गंभीर खतरे में आ जाएगा। उपहार सिनेमा कांड के एक मामले में अंसल बंधुओं को राहत देने से इनकार करते हुए पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनिल अंतिल (Additional Sessions Judge Anil Antil of Patiala House Court) ने कहा कि एक आपराधिक न्याय प्रणाली न केवल कानून से अपनी वैधता को संचालित करती है, बल्कि इससे कहीं अधिक लोगों के इस पर विश्वास से संचालित करती है।
न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने के अपराध को अपनी तरह का सबसे गंभीर अपराध बताते हुए अदालत ने कहा कि न्यायिक फर्म को दूषित करने वालों के प्रति कोई उदारता दिखाने की जरूरत नहीं है। ऐसे मामले को गंभीरता से लेने की जरूरत है।
अदालत ने कहा कि भले ही अपील इस अदालत के समक्ष लंबित है और समय पर इसके भाग्य का फैसला होगा, लेकिन इस स्तर पर ऐसी कोई असाधारण परिस्थिति दिखाई नहीं देती है कि अपीलकर्ताओं के पक्ष में अदालत अपनी शक्तियों का प्रयोग करे।
अदालत ने कहा कि मामला यह नहीं है कि अपीलकर्ताओं को एक लंबी कैद का सामना करना पड़ा हो। लेकिन इसके बावजूद अपील याचिका पर निकट भविष्य में सुनवाई की संभावना नहीं है। जहां तक अपील पर सुनवाई का सवाल है तो गुण-दोष के आधार पर तेजी से सुनवाई हो सकती है।