Delhi Violence Case: ताहिर हुसैन की मीडिया ट्रायल से राहत की अर्जी पर फैसला सुरक्षित

ताहिर हुसैन ने आरोप लगाया था कि उसके खिलाफ द्वेषपूर्ण तरीके से मीडिया ट्रायल किया जा रहा है। उसने मीडिया ट्रायल से राहत के लिए अर्जी लगाई थी। उसकी तरफ से अधिवक्ता रिजवान ने कोर्ट में पक्ष रखा कि ताहिर पर अभी आरोप साबित नहीं हुआ है।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Mon, 22 Feb 2021 08:30 PM (IST) Updated:Mon, 22 Feb 2021 08:30 PM (IST)
Delhi Violence Case: ताहिर हुसैन की मीडिया ट्रायल से राहत की अर्जी पर फैसला सुरक्षित
दिल्ली दंगे के मुख्य आरोपित एवं पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन की फाइल फोटो

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली दंगे के मुख्य आरोपित एवं पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन की मीडिया ट्रायल से राहत की अर्जी पर कड़कड़डूमा स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत की कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस मामले में अगली सुनवाई मंगलवार को होगी। जिसमें कोर्ट फैसला सुना सकती है।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत ताहिर हुसैन और उसके साथी अमित गुप्ता के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। जिसमें दोनों पर आरोप लगाया था कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन और दिल्ली में दंगा भड़काने के लिए डमी कंपनियां बनाकर अवैध तरीके से 1.10 करोड़ रुपये जुटाए थे।

इस मामले में प्रसारित खबरों को लेकर ताहिर हुसैन ने आरोप लगाया था कि उसके खिलाफ द्वेषपूर्ण तरीके से मीडिया ट्रायल किया जा रहा है। उसने मीडिया ट्रायल से राहत के लिए अर्जी लगाई थी। उसकी तरफ से अधिवक्ता रिजवान ने कोर्ट में पक्ष रखा कि ताहिर पर अभी आरोप साबित नहीं हुआ है। अधिवक्ता रिजवान ने बताया कि कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। बता दें कि दिल्ली दंगे में नाम आने के बाद आप ने ताहिर हुसैन को निलंबित कर दिया था। इसके अलावा मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में सुनवाई आठ मार्च तक टल गई है।

अधिवक्ता ने जेल में मिलने की इजाजत मांगी

दंगे का मुख्य आरोपित एवं आप के पार्षद रहे ताहिर हुसैन जेल में न्यायिक हिरासत में है। उसके अधिवक्ता ने कोर्ट में अर्जी दायर कर ताहिर से जेल में मिलने की इजाजत मांगी है। इस पर सुनवाई 26 मार्च को होगी।

दिल्ली दंगा मामले में आरोपित राशिद को मिली जमानत

वहीं, नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान फरवरी 2020 में हुए दंगा मामले में आरोपित राशिद उर्फ मोनू को दिल्ली हाई कोर्ट ने जमानत दे दी। दोनों पक्षों की दलील को सुनने के बाद न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की पीठ ने कहा कि आरोपित राशिद ऑटो चालक है और जमानत मिलने पर उसके भागने का खतरा नहीं है। पीठ ने उक्त टिप्पणी करते हुए राशिद को 15 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी। साथ ही निर्देश दिया कि जमानत के दौरान वह न तो गवाहों की प्रभावित करने की कोशिश करेगा और न ही सुबूतों से छेड़छाड़ करेगा।

याचिका के अनुसार आरोपित राशिद को गोकुलपुरी थाना क्षेत्र में दंगा फैलाने, आराधिक साजिश, हत्या, आगजनी समेत अन्य संगीन धाराओं में मार्च 2020 में गिरफ्तार किया गया था। राशिद के अधिवक्ता ने दलील दी कि उनके मुवक्किल को मामले में फंसाया गया है और अभियोजन पक्ष ने आरोप पत्र में खुद माना है कि कॉल डिटेल रिकॉर्ड के तहत याचिकाकर्ता की लोकेशन घटनास्थल के पास नहीं थी। वहीं, पुलिस की तरफ से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने दलील दी कि दंगे में जिस हिमांशु का घर जलाया गया, उसने आरोपित राशिद की पहचान की है और उसने अपने बयान में कहा है कि आरोपित दंगे में सक्रिय था, जिसमें दिलबर नेगी की मौत हुई।

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