दिल्ली में कोरोना बेकाबू : यहां जानिए अस्पतालों में बेड का हाल, एक बेड के लिए 50 मरीजों की वेटिंग

राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण के चलते हालात बिगड़ते जा रहे हैं। अधिकांश अस्पतालों में आइसीयू और वेंटिलेटर के साथ ही कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित सामान्य बेड भी भर चुके हैं। हालत इस कदर खराब है कि एक बेड पाने के लिए 40 से 50 मरीज लाइन में हैं।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 04:17 PM (IST) Updated:Sun, 18 Apr 2021 04:17 PM (IST)
दिल्ली में कोरोना बेकाबू : यहां जानिए अस्पतालों में बेड का हाल, एक बेड के लिए 50 मरीजों की वेटिंग
अधिकतर अस्पतालों में बेड फुल, भटक रहे मरीज

 नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण के चलते हालात बिगड़ते जा रहे हैं। अधिकांश अस्पतालों में आइसीयू और वेंटिलेटर के साथ ही कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित सामान्य बेड भी भर चुके हैं। हालत इस कदर खराब है कि एक बेड पाने के लिए 40 से 50 मरीज लाइन में हैं। दिल्ली कोरोना एप के मुताबिक शनिवार शाम छह बजे तक कोरोना मरीजों के लिए उपलब्ध कुल 17,485 बेड में से 13,261 बेड भर चुके थे जबकि 4,224 बेड खाली हैं। आइसीयू बेड की बात करें तो 4,062 में से 3,755 बेड भर चुके हैं। 15 से ज्यादा अस्पतालों की हालत तो यह है कि वहां पर किसी तरह (आइसीयू, वेंटिलेटर और सामान्य) का बेड खाली नहीं है।

हर जगह वेटिंग

महाराजा अग्रसेन अस्पताल में तो 100 मरीजों वेटिंग है। कमोवेश यही हालत तीरथ राम शाह, वेंकटेश्वर, सरोज सुपरस्पेशियलिटी, जयपुर गोल्डन, श्री बालाजी एक्शन अस्पताल का भी है। होली फैमिली, इंद्रप्रस्थ अपोलो और माता चानन देवी अस्पताल के आपातकालीन नंबर पर बेड के लिए जब फोन किया गया तो नंबर करीब एक घंटे तक व्यस्त जाता रहा। किसी भी अस्पताल के नंबर पर बात नहीं हो सकी।

सरकारी अस्पतालों की हालत भी खराब

बड़े सरकारी अस्पतालों की बात करें तो राजीव गांधी सुपरस्पेशियलिटी और सफदरजंग अस्पताल में भी कोई वेंटिलेटर बेड खाली नहीं है। वहीं, लोकनायक अस्पताल में एक ही वेंटिलेटर बेड शाम तक खाली था।

जानिए क्या कहते हैं डाॅक्टर

फिलहाल हमारे यहां सामान्य और आइसीयू वाले बेड खाली हैं, जबकि वेंटिलेटर वाला सिर्फ एक बेड खाली है। सरकार अगर आदेश देगी तो और बेड भी बढ़ाए जाएंगे।

सुरेश कुमार, चिकित्सा निदेशक, लोकनायक अस्पताल

हमारे यहां वेंटिलेटर बेड एक भी खाली नहीं है। आइसीयू और सामान्य बेड खाली हैं उन पर लगातार मरीज भर्ती हो रहे हैं। साथ ही ठीक होने वाले मरीज घर भी जा रहे हैं।

डॉ. बीएल शेरवाल, चिकित्सा निदेशक, राजीव गांधी सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल

इन अस्पतालों में खाली नहीं हैं सामान्य और वेंटिलेटर बेड तीरथराम शाह चैरिटेबल अस्पताल वेंकटेश्वर अस्पताल सरोज सुपर स्पेशियलिटी श्री बालाजी एक्शन इंस्टीट्यूट जयपुर गोल्डन अस्पताल आकाश हेल्थकेयर प्राइमस सुपरस्पेशियलिटी मैक्स शालीमार बाग फोर्टिस वसंतकुंज मेट्रो अस्पताल प्रीत विहार शांति मुकुंद कड़कड़डूमा तारक अस्पताल

यह भी जानें उपलब्ध कुल बेड-17,485 भर चुके बेड- 13,261 उपलब्ध आइसीयू बेड-4,062 भर चुके आइसीयू बेड-3,755 (आंकड़े दिल्ली कोरोना एप से लिए गए हैं। ) 88 फीसद वेंटिलेटर बेड भी भर चुके हैं 15 से ज्यादा अस्पतालों में किसी तरह का बेड खाली नहीं एक बेड के लिए 40 से 50 मरीजों की वेटिंग

बेड खाली पर नहीं भर्ती किया मरीज

जीटीबी अस्पताल में बेड खाली होने के बावजूद शनिवार को एक 68 वर्षीय बुजुर्ग महिला को भर्ती नहीं किया गया। यह हालत तब है जब अस्पताल में एक हजार से ज्यादा सामान्य बेड खाली हैं। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अनिल यादव से फोन कर जब मरीज को भर्ती करने के लिए बोला गया तो वह आश्वासन तो देते रहे, लेकिन शाहदरा निवासी मरीज वीरमति को भर्ती नहीं किया गया। वीरमति की बेटी रेखा सिंह ने बताया कि सुबह किसी मरीज के स्वजनों से हुई कहासुनी के बाद डॉक्टर और अन्य स्टाफ काम छोड़कर घर चले गए थे। इसके बाद मजबूर होकर उन्होंने अपनी मां को स्ट्रेचर पर लिटाकर खुद ही आक्सीजन सिलेंडर से मरीज को आक्सीजन देनी शुरू की। खबर लिखे जाने तक मरीज को भर्ती नहीं किया गया था।

अस्पतालों में कई घंटे चक्कर काटने के बाद मिला बेड

कश्मीरी गेट इलाके की रहने वाली पूíणमा अपनी 54 वर्षीय मां को एंबुलेंस में लेकर राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल पहुंची। उनकी मां को पिछले तीन दिन से बुखार था। साथ ही आक्सीजन का स्तर 90 से नीचे चला गया था। यह देखकर वह तुरंत पहले तो एक नजदीकी अस्पताल गईं। लेकिन वहां कोरोना के लक्षण होने की वजह से आरएमएल रेफर कर दिया गया। यहां दोपहर करीब एक बजे वे एंबुलेंस लेकर इमरजेंसी के बाहर खड़ी रहीं। पूर्णिमा ने बताया कि डाक्टरों ने मरीज को देखा, लेकिन कह दिया कि लोकनायक अस्पताल लेकर चले जाओ। इन्हें आइसीयू बेड की जरूरत है। इस बीच आधा घंटे तक मरीज एंबुलेंस में ही रहा। इसके बाद पूर्णिमा को कुछ लोगों ने बताया कि लोकनायक में भी आइसीयू बेड मिलना मुश्किल है। काफी देर बाद प्राइमस अस्पताल में किसी परिचित के जरिये फोन करने पर उन्हें आइसीयू बेड खाली होने का पता चला तो वे अपनी मां को लेकर वहां चली गईं। बड़ी मुश्किल से उन्हें आइसीयू बेड मिला।

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