जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। Delhi Coronavirus: दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए शुक्रवार रात्रि से सोमवार शाम तक तीन दिनों के वीकेंड कर्फ्यू की घोषणा की है, लेकिन सरकार के इस निर्णय से व्यापारिक जगत संतुष्ट नहीं है। उसके मुताबिक कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए कम से कम हफ्ते भर का संपूर्ण लॉकडाउन लगाया जाना चाहिए, ताकि दिल्ली में कोरोना की भयावह स्थिति को कुछ कम किया जा सके।
व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि वह रविवार शाम तक दिल्ली में कोरोना संक्रमण के आंकड़ों को देखेंगे अगर दो दिन तक कर्फ्यू से संक्रमण के मामले कम होते हैं तो वह मंगलवार से बाजार खोलेंगे। अन्यथा अगले चार दिन और लॉकडाउन लॉकडाउन का फैसला लेंगे।
इस बारे में चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजय भार्गव ने कहा कि कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए पूरे हफ्ते कर्फ्यू लगाना चाहिए था। मुंबई समेत कुछ अन्य शहरों के आंकड़े बताते हैं कि छोटे कर्फ्यू से पूर्णा संक्रमण की चेन तोड़ने में कोई खास फायदा नहीं हुआ है। क्योंकि संक्रमण का पता चलने में ही तीन से चार दिन का वक्त लग जाता है।
अगर हफ्ते भर का कर्फ्यू रहे तो जिनको कोरोना हुआ है वह इसका पता चलने के बाद घर पर रहकर इलाज करा सकेंगे। जबकि स्वस्थ लोग बाहर निकलेंगे। इस तरह हम संक्रमण की चेन को तोड़ने में कारगर होंगे। इसलिए रविवार तक दिल्ली में कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखा जाएगा, फिर आगे निर्णय लेंगे।
उधर, कैट ने दिल्ली में कर्फ्यू लगाने को सही पर नाकाफी बताते हुए कहा की जिस तरह से बहुत तेजी से कोरोना के मामलों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है और कोरोना ग्रस्त लोगों के अनुपात में मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध हैं उसकी देखते हुए एक बार संक्रमण की चैन तोड़ना बहुत जरूरी है और उसके लिए एक बार कम से कम 10 दिन का लॉकडाउन लगाया जाना बहुत ज़रूरी है। कैट ने आज सुबह ही दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र भेजकर लॉकडाउन लगाने का आग्रह किया था।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल एवं प्रदेश अध्यक्ष विपिन आहूजा ने बताया कि कल दिल्ली में 18 हजार के लगभग मामले दर्ज किए गए जो बेहद चिंताजनक है और दिल्ली के लोगों के स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा है। खंडेलवाल ने कहा की हर रोज जिस तेज गति से यह आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं,वो सभी के लिए चिंता का विषय है और अब समय आ गया है कि इस पर ठोस निर्णायक कदम उठाते हुए लॉकडाउन लगाने की ज़रूरत है।
इस मामले में दिल्ली के सभी व्यापारी सरकार के साथ खड़े हैं और किसी भी परिस्थिति में आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई को निर्बाध रूप से जारी रखेंगे जैसा पिछले लॉकडाउन के समय किया गया था। कैट इस मुद्दे पर शीघ्र ही दिल्ली के व्यापारी संगठनों की एक मीटिंग बुलाकर लॉकडाउन से जुड़े हर विषय पर विस्तृत विचार कर निर्णय लेगा। अगर ज़रूरी हुआ तो व्यापारिक खुद भी अपनी दुकाने बंद करने का आह्वान कर सकते हैं। जो भी निर्णय होगा वो दिल्ली के सभी व्यापारिक संगठनों की सलाह मशवरा से होगा।
उधर, फेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन (फेस्टा) के महामंत्री राजेंद्र शर्मा ने फैसले स्वागत करते कहा कि दिल्ली में कोरोना के मामले भयावह है। अगर सरकार के इस फैसले से संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है तो हम इसके साथ है। चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) के चेयरमैन बृजेश गोयल ने फैसले को सही और संतुलित बताते हुए कहा कि मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में संपूर्ण लॉकडाउन लगाया गया है। इससे वहां का कारोबार पूरी तरफ ठप हो गया है। जबकि अर्थव्यवस्था को चलाने के साथ कोरोना संक्रमण पर रोकथाम भी लगाई जा सकें। वैसे भी सप्ताहांत में कारोबार कम ही होता है।
केंद्रीय कर्मचारियों में उहापोह
राजधानी नागरिक कल्याण समिति के अध्यक्ष (दिल्ली इम्पीरियल जोन) प्रीतम धारीवाल ने कहा कि वीकेंड कर्फ्यू में सरकारी कर्मचारी को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। उनको शनिवार और रविवार को भी मंत्रालय में काम के लिए बुलाया जाता है। ऐसे में वह किस तरह मंत्रालयों में जा पाएंगे सवाल यह भी है कि क्या दिल्ली में बढ़ते कोरोना के मामलों से केंद्र सरकार के कर्मचारी अलग हैं ऐसे में सप्ताहांत कर्फ्यू मंत्रालयों पर भी लागू होना चाहिए।