दिल्ली बाल संरक्षण आयोग ने पांच स्थानों पर छापेमारी कर 22 बच्चों को कराया मुक्त

पांच स्थानों पर छापेमारी कर जिला प्रशासन दिल्ली बाल संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) पुलिस जिला बाल संरक्षण इकाइ सिविल डिफेंस बाल कल्याण आयोग की टीमों ने मिलकर 22 बच्चों को मुक्त कराया गया जिसमें नौ लड़कियां व 13 लड़के शामिल हैं।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 05:32 PM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 05:32 PM (IST)
दिल्ली बाल संरक्षण आयोग ने पांच स्थानों पर छापेमारी कर 22 बच्चों को कराया मुक्त
दिल्ली बाल संरक्षण आयोग ने पांच स्थानों पर छापेमारी कर 22 बच्चों को कराया मुक्त

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राजौरी गार्डन सब-डिवीजन के अंतर्गत 15 सितंबर को पांच स्थानों पर छापेमारी कर जिला प्रशासन, दिल्ली बाल संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर), पुलिस, जिला बाल संरक्षण इकाइ, सिविल डिफेंस, बाल कल्याण आयोग की टीमों ने मिलकर 22 बच्चों को मुक्त कराया गया, जिसमें नौ लड़कियां व 13 लड़के शामिल हैं। मूलभूत सुविधाओं से वंचित ये बच्चे सड़क पर भीख मांगते थे व कूड़ा बीनने का काम करते थे। पश्चिमी जिला प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि सभी बच्चों को जिला चिकित्सा अधिकारी के नेतृत्व में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराई गई है। साथ ही सभी की कोरोना जांच भी सुनिश्चित की गई है।

जिला उपायुक्त कृति गर्ग ने बताया कि जिले को माडल वार्ड बनाने के लिए सभी प्रयासरत है। हमारी पूरी कोशिश है कि जिले के अंतर्गत कोई भी बच्चा भीख मांगते हुए नजर न आएं।

डीसीपीसीआर द्वारा दिल्ली के अंतर्गत 70 हजार बच्चों पर किए गए सर्वे में सामने आया कि करीब 50 फीसद बच्चे नशे की लत के शिकार हैं और 50 फीसद से अधिक बच्चाें के पास कोई मूलभूत सुविधाएं जैसे बिजली, पानी, खाना नहीं है। यही बच्चे याैन शोषण, गुलामी व तस्करी के शिकार होते है। इन बच्चों के पास पहने के लिए मास्क नहीं है, ऐसे में ये कोरोना संक्रमण की चपेट में भी आ सकते है।

डीसीपीसीआर की रिपोर्ट को मद्देनजर रखते हुए जिले में विशेष अभियान चलाया जा रहा है, ताकि ऐसे बच्चों को मुक्त करा मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सके। 15 सितंबर को एसडीएम राजौरी गार्डन रंजीत कुमार सिंह के दिशानिर्देश में गठित टीमों ने राजा गार्डन रोड, सिटी स्क्वायर माल, टीडीआई माल, वेस्ट गेट माल, टैगोर गार्डन मेट्रो स्टेशन से सुभाष नगर मेट्राे स्टेशन के बीच छापेमारी की और इन 22 बच्चों को मुक्त कराया गया।

इनमें से 16 बच्चों को माता-पिता की अनुमति के बाद बाल गृह भेज दिया गया है, जहां इन्हें अच्छी शिक्षा के साथ सभी अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी। जबकि छह बच्चे चार वर्ष से कम उम्र के है, ऐसे में उन्हें उनके माता-पिता काे सौंप दिया गया। साथ ही माता-पिता की काउंसलिंग की गई है और उन्हें सरकारी योजनाओं से भी रूबरू किया गया। जिसका लाभ उठाकर वे अपने बच्चों को अच्छी परवरिश दे सकते हैं।

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