दिल्ली के सभी सरकारी स्कूलों में 'देशभक्ति पाठ्यक्रम' की शुरुआत, सीएम केजरीवाल ने किया लांच
छत्रसाल स्टेडियम में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने देशभक्ति पाठ्यक्रम लांच किया। इस मौके पर केजरीवाल ने कहा कि बच्चों के अंदर देशभक्ति की भावना को जागृत करना ही इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य है। यह देश कि प्रगति में मील का पत्थर साबित होगा।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। छत्रसाल स्टेडियम में मंगलवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने देशभक्ति पाठ्यक्रम लांच किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों के अंदर देशभक्ति की भावना को जागृत करना ही इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य है। यह देश की प्रगति में मील का पत्थर साबित होगा। पूरे देश में इसका विस्तार होगा। दो साल के कठिन प्रयास के बाद इस पाठ्यक्रम को तैयार किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह भगत सिंह के जीवन को कई बार पढ़ चुके हैं। देशभक्ति की कहानियां सुनकर, राष्ट्रगान गाकर और तिरंगे को देखकर जब मन में तरंगें उठने लगें उसे ही देशभक्ति कहते हैं। लेकिन, परेशानी यह है कि यह देशभक्ति कभी कभी जागती है। हमें ऐसा माहौल पैदा करना है हर बच्चा हर समय देशभक्ति की भावना को महसूस करे। वह जो भी करे तो यही सोचे कि यह देश के लिए कर रहा है। इस शुरुआत से एक दिन देश का स्वरूप अलग होगा।
उन्होंने कहा कि देशभक्ति हर व्यक्ति के अंदर है और वह उसे लेकर पैदा होता है, बस उसे जगाने की जरूरत है। स्कूल-कालेज से निकलने वाला छात्र देशभक्त डाक्टर, इंजीनियर बनेगा। वह केवल पैसे के लिए काम नही करेगा, बल्कि जरूरतमंद लोगों के भी काम आएगा।
हर साल जुड़ेंगे 100 स्वतंत्रता सेनानी
उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली के सरकारी स्कूल बेहतर हो गए हैं। वह हर क्षेत्र में प्राइवेट स्कूल को टक्कर दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह पाठ्यक्रम केवल मौलिक ज्ञान या देशभक्ति की बातें नही करेगा, बल्कि विद्यार्थियों में जज्बा पैदा करेगा। उन्होंने भगत सिंह, रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, बाबा साहब आंबेडकर की प्रेरक कहानियां बताई।
सिसोदिया ने कहा कि इस पाठ्यक्रम में हर साल 100 स्वतंत्रता सेनानियों की कहानियां शामिल करेंगे। इसके अलावा देशभक्ति के गीत और गतिविधियों को भी शामिल किया जाएगा। प्रत्येक क्लास की शुरुआत पांच मिनट के देशभक्ति के ध्यान से शुरू होगी। दूसरे विषयों के मुकाबले देशभक्ति का पाठ पढ़ाना मुश्किल होगा, लेकिन हम शिक्षकों के सहयोग से इस जिम्मेदारी को पूरा करेंगे।