जल बोर्ड मैदान में बना शिविर रक्षा भूमि पर अवैध अतिक्रमण है, बिजली कनेक्शन की मांग वाली याचिका का केंद्र ने किया विरोध

केंद्र ने अदालत को बताया है कि अगस्त 2018 में 70.253 एकड़ भूमि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन को हस्तांतरित की गई थी। इसके बाद से उक्त भूमि पर हुए अनधिकृत कब्जे व अतिक्रमण को हटाने का प्रयास किया जा रहा है।

By Pradeep ChauhanEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 08:55 PM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 08:09 AM (IST)
जल बोर्ड मैदान में बना शिविर रक्षा भूमि पर अवैध अतिक्रमण है, बिजली कनेक्शन की मांग वाली याचिका का केंद्र ने किया विरोध
उत्तरी दिल्ली के आदर्श नगर में रह रहे 200 पाकिस्तानी हिंदू प्रवासी। प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। उत्तरी दिल्ली के आदर्श नगर में रह रहे 200 पाकिस्तानी हिंदू प्रवासी परिवारों के लिए बिजली कनेक्शन की मांग वाली याचिका का केंद्र सरकार ने विरोध किया है। याचिका पर केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट को सूचित किया कि दिल्ली जल बोर्ड मैदान में उनके द्वारा स्थापित शिविर रक्षा भूमि पर एक अवैध अतिक्रमण है।

केंद्र ने अदालत को बताया है कि अगस्त 2018 में 70.253 एकड़ भूमि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन को हस्तांतरित की गई थी। इसके बाद से उक्त भूमि पर हुए अनधिकृत कब्जे व अतिक्रमण को हटाने का प्रयास किया जा रहा है। रक्षा मंत्रालय ने दिल्ली जल बोर्ड और उत्तरी दिल्ली पावर लिमिटेड के समक्ष भी अनधिकृत कब्जाधारियों की बिजली और पानी की आपूर्ति को काटने का मामला भी उठाया था।

केंद्र ने कहा कि रक्षा भूमि पर स्थापित किया गया शिविर अवैध हैं और यहां पर कनेक्शन नहीं दिया जा सकता है। अधिवक्ता समीक्षा मित्तल के माध्यम से दायर याचिका में हरिओम समेत अन्य ने कहा कि अधिकांश प्रवासियों के पास वीजा और आधार कार्ड हैं, लेकिन बिजली कंपनी ने कहा है कि परिसर के अधिभोग के प्रमाण के रूप में आधार कार्ड का उपयोग नहीं किया जा सकता है।

वहीं एक अन्य मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उल्लेख करते हुए की गई एक टिप्पणी के खिलाफ कांग्रेस नेता व सांसद शशि थरूर के खिलाफ दायर मानहानि मामले में आपराधिक कार्यवाही पर रोक के अंतरिम आदेश की समयसीमा को दिल्ली हाई कोर्ट ने बढ़ा दिया है। भाजपा नेता राजीव बब्बर की शिकायत पर निचली अदालत द्वारा जारी समन को चुनौती देने वाली शशि थरूर की याचिका पर सुनवाई न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की पीठ ने 23 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी। साथ ही कहा कि कार्यवाही पर रोक लगाने का अंतरिम आदेश जारी रहेगा।

थरूर की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता गौरव गुप्ता ने मामले में जिरह पूरी हो चुकी है और अंतिम बहस के लिए सूचीबद्ध किया जा सकता है। थरूर ने बब्बर की शिकायत पर 27 अप्रैल 2019 को निचली अदालत द्वारा जारी समन को रद करने की मांग की गई है। इसके साथ ही उन्होंने दो नवंबर 2018 को दी गई शिकायत को भी रद करने की मांग की है।

अक्टूबर 2018 में थरूर अपने एक बयान में दावा किया था कि स्वयं सेवक संघ के एक अज्ञात व्यक्ति ने कथित तौर पर प्रधानमंत्री मोदी की तुलना शिवलिंग पर बैठे एक बिच्छू से की थी। थरूर को इस मामले में जून 2019 में निचली अदालत ने जमानत दी थी। राजीव बब्बर ने कहा था कि वे भगवान शिव के भक्त हैं और उक्त बयान देकर थरूर ने करोड़ों शिव भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।

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